नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के आगरा के 74 साल के हसनूराम अंबेडकरी अभी तक 92 चुनाव लड़ चुके है और सभी में उनकी हार हुई है। लेकिन इसके बावजूद भी वो रुकने को तैयार नहीं हैं और अब पंचायत चुनावों में 93वीं बार अपनी किस्मत आजमाने के लिए तैयार हैं। हसनूराम डॉ. भीमराव अंबेडकर के अनुयायी होने का दावा करते हैं, इसलिए अपने नाम के साथ 'अंबेडकरी' लिखते हैं।
'इंडिया टुडे' की खबर के अनुसार, हसनूराम 1984 से चुनाव लड़ रहे हैं। हर चुनाव हारने के बावजूद हसनूराम अंबेडकरी ने हर चुनाव लड़ा, चाहे वो पंचायत चुनाव हों या विधानसभा चुनाव या लोकसभा चुनाव। उन्होंने भारत के राष्ट्रपति पद के लिए भी अपनी उम्मीदवारी भरी, लेकिन उनका आवेदन खारिज कर दिया गया था।
2022 में भी लड़ेंगे चुनाव
2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने फतेहपुर सीकरी सीट से चुनाव लड़ा और उन्हें लगभग 4200 वोट मिले। इस साल उन्होंने यूपी पंचायत चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा है, 'इस बार मैंने जिला पंचायत के वार्ड 31 के सदस्य के रूप में चुनाव लड़ने के लिए मैदान में प्रवेश किया है। अगर 2022 तक रहते हैं तो विधानसभा चुनाव भी लड़ूंगा।'
इस बार पत्नी भी चुनावी मैदान में
उनका कहना है कि वो समाज सेवा करना चाहते हैं। वह लोगों की मदद करना चाहते हैं, इसलिए बार-बार चुनाव लड़ते हैं। पेशे से मनरेगा कार्यकर्ता हसनूराम कहते हैं कि वो जो भी कमाते हैं उसका आधा खर्च समाज सेवा पर करते हैं। एक तरह से वह खुश है कि वह हारते रहे। उन्होंने कहा कि चुनाव हारने से वह जमीन पर रहते हैं; अगर वह कभी जीतते हैं तो उनका लोगों के साथ संपर्क खत्म हो सकता है। इस बार उनकी पत्नी सूरमा देवी भी पहली बार चुनावी मैदान में उतरी हैं। उन्होंने नगला दूल्हे खान में प्रधान पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया है।