आगरा : आगरा के जिस गांव में भूखमरी से 5 वर्षीय एक बच्ची की मौत हुई थी उस गांव में करीब 2000 परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं है। ये ग्राम पंचायत 5000 परिवारों वाला है। इनमें से अधिकतर लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है। इनमें से केवल 191 परिवारों जो दलितों से थोड़ी ऊंची जाति के हैं उनके नाम केवल आयुष्मान भारत योजना में दर्ज हैं। बाल अधिकार कार्यकर्ता के द्वारा किए गए एक सर्वे में ये चौंकाने वाली बात सामने आई है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक 5 वर्षीय बच्ची सोनिया की मौत के बाद बाल अधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस ने इस ग्राम पंचायत का सर्वे किया। इस घटना के बाद जिला प्रशासन फौरन हरकत में आया और बच्ची के परिवार को राशन कार्ड उपलब्ध करवाया लेकिन उन्होंने केवल उसी परिवार को राशन कार्ड दिया। उस परिवार के अलावा अन्य कई परिवार ऐसे हैं जिसके पास राशन कार्ड की सुविधा नहीं है और वे रोज दो जून की खाने की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उसी गांव के हेमंत कुमार गौतम ने ये बातें बताई।
हाल ही में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले माता-पिता की 5 साल की बेटी भूख के कारण मर गई। मुख्य विकास पदाधिकारी जे रीभा ने बताया कि वे इस घटना को लेकर काफी चिंतित हैं और इस परिवार की अब पूरी देख रेख कर रहे हैं। इसके साथ ही वे दूसरे परिवारों को भी सरकारी योजनाओं के अंदर लाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए पेपर वर्क किया जा रहा है।
इसके लिए गांव में स्पेशल कैंप लगाया जाएगा जहां पर जरूरतमंदों को राशन कार्ड उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके लिए सभी को आधार कार्ड भी उपलब्ध कराया जा रहा है। सोनिया के परिवार के जैसा यहां पर 2000 परिवार रहता है जो मूलभूत जरुरतों से वंचित है। उन्हें यहां काम नहीं मिल रहा है जिसके चलते उनके पास पैसे नहीं है।