- आगरा में पासपोर्ट कार्यालय अब दिखेगा बदला-बदला
- गर्मी से राहत के लिए लगाए जा रहे तीन एयर कंडीशनर
- आए दिन सर्वर डाउन और वायर टूटने से मिलेगी निजात
Agra Passport Office: ताजनगरी के पासपोर्ट कार्यालय का अब स्वरूप बदलने जा रहा है। नेटवर्क से लेकर कार्यालय का कायाकल्प करने की तैयारी है। सर्वर केबिन से लेकर लाइनों को भूमिगत करने का कार्य चल रहा है। ताकि, आवेदकों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। कार्यालय में बैठने की व्यवस्था के लिए कुर्सियां और गर्मी से राहत के लिए तीन एयर कंडीशनर लगाए जा रहे हैं। चार साल बाद केंद्र का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसके चलते वर्तमान में दो कंप्यूटर के स्थान पर एक से कार्य हो रहा है। बता दें कि 28 फरवरी-2018 को बिजली घर स्थित प्रधान डाकघर में पासपोर्ट सेवा केंद्र शुरू हुआ था।
गाजियाबाद रीजन के अधिकारियों ने आनन-फानन में केंद्र शुरू कर दिया था। तभी से केंद्र में कार्य हो रहा है। परिसर में चारों ओर वायरिंग फैली हुई है। आए दिन सर्वर डाउन और वायर टूटने से आवेदकों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही थी। गेट पर चौकीदार न होने से प्रवेश पर कोई अंकुश नहीं था।
परिसर में बिजली के वायर भी बिखरे
जानकारी देने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। गर्मी से बचाव के लिए ऐसी और बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियां नहीं हैं। पीने के पानी के लिए भी कुर्सी पर वाटर कूलर रखा जाता है। हालात ये थे कि परिसर में बिजली के वायर भी बिखरे पड़े हुए हैं। इन सभी अव्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए अब चार साल बाद काम शुरू हो गया है। परिसर के अंदर और मेन गेट पर केबिन बनाया जा रहा है। ताकि, वायरिंग को इनमें शिफ्ट किया जा सके। पासपोर्ट के अधिकारियों ने बताया कि सर्वर की समस्या से निजात पाने के लिए बीएसएनएल के स्थान पर एयरटेल के नेटवर्क की व्यवस्था होगी। भूमिगत केबल करने के बाद जगह-जगह स्विच लगाए जा रहे हैं। ताकि, आवेदक के पैर केबल पर नहीं पड़ें।
एक फोटो कॉपी के लिए लगानी पड़ती है दौड़
पासपोर्ट की अप्वाइनमेंट पर केंद्र पहुंचने वाले आवेदकों को यहां भी परेशानी झेलनी पड़ती है। अधिकांश आवेदक अपने साथ बाजार से प्लास्टिक कार्ड पर आधार प्रिंट कराकर यहां पहुंच जाते हैं। इस कार्ड को देखकर अधिकारी उन्हें यूआईडीएआई से जारी प्लास्टिक कार्ड या ई-आधार कार्ड लाने के लिए कहते हैं। साथ ही डॉक्यूमेंट की एक-एक फोटो कॉपी भी मांगते हैं। आवेदक को इस कार्य के लिए बिजली घर चौराहे तक की दौड़ लगानी पड़ती है। केंद्र के आसपास इसकी सुविधा तक नहीं है।