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Taj mahal: संत मत्स्येंद्र गोस्वामी का ऐलान ताजमहल में टॉयलेट के पास गैलरी से 'भगवान की तस्वीर' हटा लें नहीं तो तीन दिन में हटा देंगे

Updated May 31, 2022 | 16:21 IST

Picture of God in Taj mahal: उरई के संत मत्स्येंद्र गोस्वामी ताजमहल पहुंचे, उन्होंने पुरातत्वकर्मियों से कहा कि भगवान की तस्वीर को टॉयलेट के नजदीक से हटाया जाए नहीं तो तीन दिन में वो खुद हटा देंगे।

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ताजमहल

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में उरई के संत मत्स्येंद्र गोस्वामी ताजमहल के टॉयलेट (Toilet of tajmahal) के पास से भगवान की तस्वीर (Picture of God) हटाने की मांग की उन्होंने कहा कि तीन दिन में नहीं हटीं तो वह खुद हटा देंगे। बताया जा रहा है कि संत मत्स्येंद्र गोस्वामी (Sant Matsyendra Goswami) करीब 1 हफ्ते पहले भी ताजमहल आए थे और प्रशासन को इसके लिए चेतावनी देकर गए थे।

वहीं सोमवार यानी 30 मई को फिर संत मत्स्येंद्र गोस्वामी ने फिर ताजमहल का दौरा किया और ताजमहल गेट पर पश्चिमी किनारे पर लगी गैलरी में भगवान की तस्वीर टॉयलेट के पास लगी होने को लेकर गुस्सा जताते हुए हंगामा किया।

संत मत्स्येंद्र ने ताजमहल के पश्चिमी गेट पर धरना दिया और ASI अधिकारियों को दो दिन का अल्टीमेटम तस्वीरें हटाने के लिए दिया है और कहा है कि ऐसा नहीं हुआ तो वो तीन दिन में इसे हटा देंगे। संत ने दो दिन बाद पूरे देश के संतों के साथ ताजमहल में हंगामा करने की चेतावनी भी दे डाली है।

संत मत्स्येंद्र हफ्ते भर पहले भी ताजमहल आए

उन्होंने कहा कि ताज परिसर के कॉरिडोर से हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरों को वहां से हटाकर बाहर लगाया जाए इसे लेकर उनकी एएसआई कर्मियों से कहासुनी भी हुई है। गौर हो कि संत मत्स्येंद्र हफ्ते भर पहले भी ताजमहल आए थे यहां उन्होंने भगवान की लगी हुई तस्वीर के स्थान को लेकर आपत्ति जताई थी बताते हैं कि इसके बाद एएसआई ने मू्र्तियों के पास पैनल लगवा दिया था।

ताजमहल के बंद कमरों को खुलवाने की मांग को लेकर याचिका

गौर हो कि हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें अदालत से ताजमहल के मुख्य हिस्से में स्थित उन 22 कमरों को खोलने की मांग की गई है, जहां प्राचीन शिवलिंग होने का दावा है। इस याचिका के मुताबिक ये कमरे अंग्रेजों के जमाने से बन्द हैं और इनमें हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियां, प्राचीन शिवलिंग और शिलालेख मौजूद हो सकते हैं, जिनका जिक्र इतिहास की किताबों और दूसरे दस्तावेजों में भी मिलता है, इसी याचिका में ये भी लिखा है कि यमुना किनारे जिस जगह अभी ताजमहल मौजूद है, वहां वर्ष 1212 में राजा परमर्दि-देव ने भगवान शिव का मन्दिर बनवाया था, जिसे तेजोमहालय या तेजोमहल कहा जाता था।

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