- श्री कृष्ण जन्मभूमि केस में कोर्टो में दायर हुई एक और अर्जी
- आगरा की जहांआरा मस्जिद के नीचे मूर्तियां दबी होने का दावा
- एएसआई से रेडियोलॉजी सर्वे कराने की कोर्ट से मांग की गई है
आगरा : श्री कृष्ण जन्मभूमि केस में नया घटनाक्रम हुआ है। दरअसल, मथुरा कोर्ट में दायर एक अर्जी में आगरा स्थित जहांआरा मस्जिद की रेडियोलॉजी सर्वे कराने की मांग की गई है। अर्जी में दावा किया गया है कि इस मस्जिद के नीचे भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियां दबाई गई हैं। याचिका में कोर्ट से रेडियोलॉजी टेस्ट के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वे (ASI) को निर्देश देने की मांग की गई है। जहांआरा मस्जिद को आगरा की जामा मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है।
मस्जिद के नीचे मूर्तियां दबे होने का दावा
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर-काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद मामले में वाराणसी की एक स्थानीय कोर्ट ने एएसआई को विवादित परिसर का विस्तृत सर्वे करने का आदेश दिया है। वाराणसी कोर्ट के इस फैसले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। मथुरा कोर्ट में दायर अर्जी में दावा किया गया है कि इस मस्जिद के नीचे भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियां दबी हुई हैं। याचिका के मुताबिक मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर गिराने के बाद मुगल शासक औरंगजेब यहां से भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियां लेकर आगरा गया था और यहां उसने इन मूर्तियों को जहांआरा मस्जिद के नीचे दबा दिया।
मथुरा कोर्ट में चल रही है सुनवाई
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली कटरा केशव देव मंदिर के समीप स्थित 17वीं सदी की मस्जिद को हटाने की मांग करते हुए मथुरा की एक कोर्ट मं अर्जी दायर की गई है। इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए गत फरवरी में मथुरा की एक कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद समिति एवं अन्य को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने इन पक्षकारों से जवाब मांगा। अर्जी में ठाकुर श्री केशव देव जी की 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को दिलाने की अपील की गई है। साथ ही वर्ष 1968 में हुई डिक्री को रद्द करने की मांग भी की गई है।
कई बार तोड़ा गया श्री कृष्ण मंदिर
इतिहासकार बताते हैं कि जिस जगह पर आज कृष्ण जन्मस्थान है, वह पांच हजार साल पहले मल्लपुरा क्षेत्र के कटरा केशव देव में राजा कंस का कारागार हुआ करता था। रोहिणी नक्षत्र में आधी रात को भगवान कृष्ण ने इसी जेल में जन्म लिया था। इतिहासकारों के अनुसार, सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा बनवाए गए इस भव्य मंदिर पर महमूद गजनवी ने सन 1017 ई. में आक्रमण कर इसे लूटने के बाद तोड़ दिया था। इसके बाद इस मंदिर को सिकंदर लोदी और औरंगजेब ने तोड़वाया।