- आगरा में मंकी पॉक्स को लेकर अलर्ट घोषित, प्रशासन कर रहा प्रबंध
- कोरोना के बाद अब मंकी पॉक्स ने बढ़ाई टेंशन, हर यात्री पर निगरानी
- काफी खतरनाक है वायरस, विदेश से आने वालों पर भी नजर
Monkeypox In Agra: मंकी पॉक्स को लेकर यूपी की ताजनगरी आगरा में अलर्ट घोषित किया गया है। एसएनएमसी और जिला अस्पताल के त्वचा व चर्म रोग विभाग को खास सावधानी बरतने को कहा गया है। स्वास्थ्य विभाग विदेश से आने वालों पर भी नजर रख रहा है। संदिग्ध मरीजों की तत्काल जांच की जाएगी।
विभाग के दिशा-निर्देशों के मुताबिक यह वायरल जूनोटिक बीमारी है। मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के ऊष्ण कटिबंधीय वर्षा वन क्षेत्रों में होती है। अभी यूरोप और अफ्रीकी देशों से इसके मामले सामने आए हैं। गनीमत यह है कि भारत में अभी कोई मामला नहीं मिला है।
यह रोग पांच से 21 दिनों तक
मंकी पॉक्स के मरीजों में अधिकतर बुखार, चकत्ते व सूजी हुई लिम्फनोड्स जैसे लक्षण पाए जाते हैं। लक्षण दो से चार सप्ताह तक दिखाई देते हैं। इसमें मृत्यु दर एक से 10 तक हो सकती है। यह बीमारी जानवरों से इंसानों में फैल सकती है। संक्रमित के कपड़ों से भी यह बीमारी दूसरे व्यक्ति को लग सकती है। इस रोग का इन्क्यूबेशन पीरियड आमतौर पर सात से 14 दिन का होता है। लेकिन यह पांच से 21 दिनों तक भी हो सकता है। संक्रमित व्यक्ति चकत्ते दिखने से लेकर सभी चकत्तों की पपड़ी गिरने तक संक्रमण का शिकार हो सकता है।
मंकी पॉक्स के चेचक जैसे लक्षण
मंकी पॉक्स के लक्षण चेचक से मिलते-जुलते हैं। जिसे 1980 में वैश्विक स्तर पर उन्मूलित घोषित किया जा चुका है। हालांकि मंकी पॉक्स चेचक की तुलना में कम संक्रामक है। इससे होने वाली दिक्कतें भी चेचक की अपेक्षा कम घातक हैं।
इन देशों को लोगों की निगरानी
20 मई तक यूके, अमेरिका, यूरोप, आस्ट्रेलिया और कनाडा से मंकी पॉक्स के मामले आए हैं। यह लोग अफ्रीकी देशों की यात्राओं से आए थे। लिहाजा आगरा में भी इन देशों से आए लोगों की जांच और स्कैनिक के निर्देश दिए गए हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज में त्वचा व चर्म रोग के डॉक्टर यतेंद्र चाहर ने कहा कि हमने चौकसी बढ़ा दी है। विभाग ने भी एडवाइजरी जारी कर दी है। संदिग्ध नजर आने वालों की तत्काल स्क्रीनिंग और सैंपलिंग की जाएगी।