- लेडी लॉयल अस्पताल में गर्भाशय की बीमारी का सस्ता इलाज
- एसएन और निजी अस्पतालों का लेना पड़ता था सहारा
- ओपीडी में रोजाना पहुंच रहीं सात से आठ महिलाएं
Agra Lady Loyal Hospital: आप यूट्रस संबंधित बीमारी से परेशान है तो अब आपको 2 रुपये खर्च करके इलाज मिल जाएगा। 138 साल पहले बने महिला चिकित्सालय में दो महीने पहले यह सुविधा शुरू कर दी गई है। इलाज से लेकर सर्जरी के लिए अब भटकना नहीं पड़ेगा।
बता दें कि, रसौली, पीसीओडी गांठों से संबंधित परामर्श तो अस्पताल में मिलता था। लेकिन सर्जरी के लिए महिलाओं को या तो एसएन जाना पड़ता था। या फिर निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता था। निजी अस्पताल जाने में मोटी रकम खर्च करनी पड़ती थी। यहां अब ओपीडी में रोजाना सात से आठ महिलाएं पहुंच रहीं हैं।
महिलाओं को ज्यादा हो रही यूट्रेस से संबंधित बीमारियां
आगरा के लेडी लॉयल अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. पंकज कुमार ने छह महीने पहले ही जिला महिला चिकित्सालय की जिम्मेदारी संभाली है। उन्होंने बताया कि, यूट्रेस से संबंधित बीमारियां महिलाओं को ज्यादा हो रही हैं। पीसीओडी, रसोली, ओवरी सिस्ट, युटेराइन फाइब्रॉइड और एडेनोमियोसिस होना आम है। केवल 10 प्रतिशत महिलाओं में ही असामान्यता के लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण अनियमित पीरियड्स से लेकर बांझपन तक हो सकता हैं। इन छोटे-छोटे लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि यह किसी गंभीर बीमारी के संकेत भी हो सकते हैं। डॉ. पंकज कुमार के मुताबिक, 77 प्रतिशत महिलाएं फाइब्रॉएड्स से पीड़ित होती हैं, 70 प्रतिशत में इसका कोई लक्षण नजर नहीं आता है। जिससे कि आगे चलकर कैंसर हो सकता है। यहां सर्जरी की व्यवस्था भी की गई है। ओपीडी में अब तक 654 केस आ चुके हैं। 48 की सर्जरी भी हुई है।
इंफर्टिलिटी की समस्या सामने आती है
एसआईसी डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि, फेफड़ों के अलावा महिलाओं के गर्भाशय में होने वाली टीबी के मामले भी काफी बढ़े हैं। गर्भाशय में टीबी होने से महिलाएं बांझपन तक का शिकार हो सकती हैं। गर्भाशय में टीबी से अंडाशय, फेलोपियन ट्यूब, गर्भाशय (यूट्रेस), गर्भाशय ग्रीवा और योनि के आसपास मौजूद लिम्फ नोड्स प्रभावित होने लगते हैं। यह मुख्य रूप से इंफेक्शन के कारण होता है। देर होने पर बैक्टीरिया यूट्रस पर अटैक कर सकते हैं, फेलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुंचता है, इसी कारण इंफर्टिलिटी की समस्या सामने आती है।