- कार ग्राहकों का इंतजार कब खत्म होगा?
- क्यों नई कारों पर मिल रही लंबी वेटिंग?
- भारत ही नहीं दुनिया इस तंगी से परेशान
Long Waiting On New Cars In India: देश की प्रमुख वाहन विनिर्माता कंपनियों के पास लंबित ऑर्डर का आंकड़ा 6.5 लाख इकाई पर पहुंच गया है। सेमीकंडक्टर की कमी कारण लगभग सभी प्रमुख कंपनियों का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसके चलते ग्राहकों को लंबी प्रतीक्षा अवधि (वेटिंग पीरियड) का सामना करना पड़ रहा है। देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) के पास ही अकेले 3.4 लाख ऑर्डर लंबित है। वहीं हुंदै, महिंद्रा एंड महिंद्रा के पास संयुक्त रूप से करीब तीन लाख इकाइयों के ऑर्डर लंबित है। टाटा मोटर्स, किआ और होंडा कार्स जैसी कंपनियां भी इसी स्थिति का सामना कर रही हैं।
अकेले मारुति के पास 3.4 लाख ऑर्डर लंबित
मारुति के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (विपणन और बिक्री) शशांक श्रीवास्तव ने पीटीआई-भाषा से कहा, “हमारे अनुमान के अनुसार, पूरे यात्री वाहन बाजार में करीब 6.5 लाख कारों का ऑर्डर लंबित है। अकेले मारुति के पास 3.4 लाख इकाइयों का ऑर्डर लंबित है।” उन्होंने वाहनों की आपूर्ति में देरी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, “इसका एक ही तरीका है कि उत्पादन को बढ़ाया जाए। हम यही चाहेंगे जो गाड़ियां ग्राहकों ने बुक की हैं, उनकी जल्द डिलिवरी की जाए।”
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रतीक्षा अवधि छह महीने तक
टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने कहा कि उसके यात्री वाहन श्रेणी के लिए प्रतीक्षा अवधि संस्करण और रंग के आधार पर चार से 12 सप्ताह के बीच है। प्रवक्ता ने कहा, “इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रतीक्षा अवधि छह महीने तक की है।”
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इसके अलावा होंडा कार्स इंडिया के निदेशक (विपणन और बिक्री) युइची मुराता ने कहा कि दुनियाभर में चिप की कमी समेत आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों ने पिछले साल से उत्पादन को प्रभावित किया है। इसके कारण वाहनों के लिए प्रतीक्षा अवधि बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि कंपनी के वाहनों की प्रतीक्षा अवधि दो से नौ महीने तक के बीच में चल रही है। पेट्रोल वाहनों के लिए प्रतीक्षा अवधि दो महीने, डीजल के लिए तीन से पांच महीने और हाइब्रिड श्रेणी के लिए नयी बुकिंग की प्रतीक्षा अवधि नौ महीने तक की है।