पश्चिम दिल्ली यातायात पुलिस ने पिछले सप्ताह एक अभियान चलाया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कारों में पीछे की सीटों पर बैठने वाले यात्री सीट बेल्ट पहनें। इस अभियान के तहत, ट्रैफिक पुलिस ने रियर सीट बेल्ट न पहनने पर 1000 तक के चालान जारी किए। यह अभियान 13 जनवरी से 23 जनवरी के बीच प्रभावी रूप से जागरूकता के लिए चलाया गया था और इसका उद्देश्य लोगों को यह बताना था कि वे अपनी सीट बेल्ट बांधने के लिए कानून का पालन करें, भले ही वे पीछे की सीट पर हों।
वास्तव में, केंद्रीय मोटर वाहन नियमों की धारा 138 (3) में पीछे के यात्रियों के लिए सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य है। हालांकि, जागरूकता और प्रवर्तन की कमी की वजह से पीछे बैठने वाले अधिकांश लोग सीट बेल्ट नहीं पहने। लोगों में आम गलतफहमी है कि किसी दुर्घटना के मामले में आगे बैठने वाले यात्रियों की तुलना में पीछे वाले यात्री बेहतर हैं। हालांकि, क्रैश टैस्ट ने यह साबित कर दिया है कि रियर सीट बेल्ट पहनना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि सामने की सीट पर बैठे लोगों को पहनना जरूरी है।
भारत में अधिकांश लोगों को किसी वाहन में फ्रंट सीटों पर बैठने पर सीट बेल्ट पहनने की आदत (कम या ज्यादा) हो गई है, ऐसा चालान के डर के कारण या सुरक्षा कारणों से हो सकता है। हालांकि, यह पीछे की सीटों पर बैठे यात्रियों के लिए पूरी तरह से अलग मामला है। पीछे बैठने वाले अक्सर मानते हैं कि वे दुर्घटना होने पर अच्छी तरह से सुरक्षित रहेंगे। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन से पता चलता है कि पीछे के सीट बेल्ट का उपयोग से मारे जाने या घायल होने की संभावना को क्रमश: 25 प्रतिशत और 75 प्रतिशत तक कम कर देता है।
दुर्घटना की स्थिति में पीछे की सीटों पर बिना बेल्ट पहने बैठे यात्रियों को आगे की सीट से टकराने का खतरा रहता है। यह व्हिपलैश की चोट का कारण बन सकता है, अक्सर रीढ़ की हड्डियां प्रभावित होती हैं और कई मामलों में मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है। अगर आप भूल गए हैं, तो एक प्रमुख राजनेता की 2014 में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, इसी तरह की चोट के कारण जब वह मारुति सुजुकी SX4 के पीछे की सीट पर बिना सीट बेल्ड पहने यात्रा कर रहे थे। राजनेता ने अपनी जान गंवा दी, हालांकि दुर्घटना का प्रभाव गंभीर नहीं था। उसी दुर्घटना में ड्राइवर और सामने वाले यात्री को किसी तरह की चोट नहीं आई क्योंकि वे सीट बेल्ट पहने थे।