नई दिल्ली : टाटा मोटर्स लिमिटेड (टीएमएल) ने 3 साल में अपने ऊपर कर्ज भार करीब करीब शून्य करने का लक्ष्य रखा है और वित्त वर्ष 2021-22 से कंपनी का कैश-फ्लो सकारात्मक हो जाएगा। टाटा मोटर्स के चयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने मंगलवार को कंपनी की 75वीं वार्षिक आम बैठक में कहा कि गैर- प्रमुख क्षेत्रों में निवेश निकलने पर भी गौर किया जाएगा ताकि कर्ज का बोझ हल्का हो।
चंद्रशेखर ने आगे की योजना के पांच पहलूओं का जिक्र किया जिसमें कर्ज का शुद्ध भार शून्य करना प्रमुख मुद्दा है। टाटा मोटर्स समूह पर वर्तमान शुद्ध ऑटोमोटिव कर्ज 48,000 करोड़ रुपए है। उन्होंने कहा कि हमने कर्ज में उल्लेखनीय कमी लाने के लिये लक्ष्य तय किया है। इसे तीन साल में शून्य के करीब लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 2021- 22 से कंपनी सकारात्मक मुक्त कैश प्रवाह का सृजन करने लगेगी।
कंपनी के लागत ढांचे के बारे में चंद्रशेखरन ने कहा कि समूह का सकल निवेश चालू वित्त वर्ष के दौरान 50% घट गया है आने वाले समय में भी इसे कड़ाई से नियंत्रित रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि कंपनी ऐसे निवेश/सम्पत्तियों को बेचेगी जो उसके लिए जरूरी नहीं हैं। जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) के बारे में च्रदशेखरन ने कहा कि ब्रांड पोर्टफोलियो को और बेहतर बनाने पर जोर रहेगा।
समूचे कारोबारी परिवेश के बारे में चंद्रशेखरन ने कहा कि समूचा वैश्विक ऑटो उद्योग पिछले 12 महीने से कई तरह के मुद्दों से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि बढ़ते व्यापार तनाव, संकुचित होती वैश्विक वृद्धि और लगातार बढ़ते नियामकीय नियमों से काम करने के परिदृश्य में काफी बदलाव आ गया है। टाटा मोटर्स के चेयरमैन ने कहा कि घरेलू वाहन क्षेत्र में बिक्री में 18% की गिरावट से भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग के समक्ष अप्रतयाक्षित स्थिति रही है।