- भोजपुरी की पहली फिल्म है गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो
- भोजपुरी की पहली फिल्म देखने बैलगाड़ी से शहर जाते थे लोग
- राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद की पेशकश पर बनी थी भजोपुरी की पहली फिल्म
Bhojpuri Cinema First Film Ganga maiyya tohe piyari chadhaibo: भारत में बॉलीवुड और साउथ फिल्म इंडस्ट्री खूब फेमस हैं। लेकिन इसी के साथ अन्य रीजनल भाषाओं की फिल्में भी बनाई जाती है, जिनमें से कुछ काफी चर्चा में रहते हैं। इन्ही में से एक है भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री हैं। भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री अब फिल्मों के कॉन्सेप्ट और कलाकारों के कारण देशभर में पॉपुलर हो रही है। आज भोजपुरी फिल्मों और गानों की चर्चा सिर्फ भोजपुरिया क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रह गई बल्कि देश के कोने-कोने के लोग भोजपुरी भाषा से अवगत हैं। अन्य भाषाओं की फिल्मों की तरह भोजपुरी फिल्में भी दर्शकों के बीच धमाल मचा रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहली भोजपुरी फिल्म कौन सी थी, जिसे सिनेमाघर में रिलीज किया गया था। दरअसल भोजपुरी की पहली फिल्म से कई किस्से जुड़े हुए हैं, जिसे हम इस लेख में बताएंगे।
1963 में रिलीज हुई थी भोजपुरी की पहली फिल्म
भोजपुरी इंडस्ट्री की पहली फिल्म 23 फरवरी 1963 में रिलीज हुई थी, जिसका नाम है ‘गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो’। दर्शकों ने ना सिर्फ इस फिल्म को पसंद किया बल्कि इसके गाने भी खूब हिट हुए। भोजपुरी की पहली फिल्म के गानों को मोहम्मद रफी, आशा भोसले और लता मंगेशकर ने अपनी आवाज से सजाया था। इस फिल्म के सभी गाने आज भी यूट्यूब पर खूब सुने जाते हैं।
भारत के पहले राष्ट्रपति की पेशकश पर बनी थी भोजपुरी की पहली फिल्म
आज भोजपुरी इंडस्ट्री में एक से बढ़कर एक कई फिल्म बनाए जाते हैं। लेकिन भोजपुरी सिनेमा जगत की पहली फिल्म भारत के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के रिक्वेस्ट पर बनाई गई थी। भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने बॉलीवुड अभिनेता नाजीर हुसैन से मुलाकात की। उन्होंने भोजपुरी भाषा में एक फिल्म बनाने के लिए कहा, जिसकी वजह से 1963 में पहली भोजपुरी फिल्म गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो रिलीज हुई। यह फिल्म विश्वनाथ प्रसाद शाहाबादी द्वारा निर्मित की गई।
भोजपुरी की पहली फिल्म देखने बैलगाड़ी से शहर जाते थे लोग
भोजपुरी फिल्मों का जितना क्रेज आज दर्शकों में है, उतना ही क्रेज 1960 के दशक में भी हुआ करता था। जब भोजपुरी की पहली फिल्म ‘गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो’ बनकर तैयार हुई और सिनेमाघर में लगी तो दर्शक भी इसे देखने के लिए उत्साहित हो गए। उस वक्त ना ही फिल्मों के लिए ऑनलाइन टिकट बुक हुआ करती थी और ना ही एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने के इतने साधन हुआ करते थे। फिल्म शहर के सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। लोग पर्दे पर इस फिल्म को देखने के लिए बैल गाड़ियों में भरकर सिनेमाघर पहुंचते थे।