- भोपाल मंडल में एक मेगा वाट का सौर उर्जा प्लांट लगा हुआ है
- 2021-22 वित्तीय वर्ष में रिन्यूएबल एनर्जी के तहत 13.18 लाख युनिट्स रहा उत्पादन
- भोपाल स्टेशन पर कवर ओवर शेड पर 240 kw कपैसिटी का सोलर प्लांट लगा है
Bhopal Railway Division: भोपाल रेलवे मंडल की पहल से पर्यावरण सरंक्षण में मदद मिल रही है। भोपाल मण्डल द्वारा ग्रीन एनर्जी एवं ऊर्जा संरक्षण की दिशा में अनुकरणीय कार्य किए गए हैं। मण्डल रेल प्रबन्धक श्री सौरभ बंदोपाध्याय के कुशल मार्गदर्शन में विद्युत विभाग द्वारा ग्रीन एनर्जी एवं ऊर्जा संरक्षण की दिशा मे अनुकरणीय कार्य किये जा रहे हैं। जिससे ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ रेल राजस्व की भी बचत हो रही है।
भोपाल मण्डल में एक मेगा वाट का सौर ऊर्जा प्लांट लगा हुआ है, जिससे वित्तीय वर्ष 2021-22 में रिन्यूएबल एनर्जी के तहत कुल 13.18 लाख यूनिट्स का उत्पादन हुआ। इस प्रकार वर्ष 2021-22 मे लगभग रु.36.00 लाख की बचत हुई व लगभग 1100 टन का कार्बन उत्सर्जन बचा है।
रेलवे के राजस्व की हो रही बचत
भोपाल स्टेशन पर कवर ओवर शेड पर 240 kw कपैसिटी का सोलर प्लांट लगा हुआ है, जिससे लगभग हर महीने 29000 यूनिट्स बिजली का उत्पादन होता है। इससे रेलवे परिक्षेत्र में प्रकाश व अन्य विद्युत उपकरणों को चलाया जाता है। इससे रेलवे को राजस्व बचत के साथ-साथ ही पर्यावरण को भी सुरक्षित रखने मे सहयोग मिल रहा है।
13 लाख रुपये की सलाना बचत
भोपाल मण्डल मे राजस्व की बचत एवं ऊर्जा संरक्षण की दृष्टि से कार्य करते हुए 12 स्टेशन मे 30-70% सर्किट के ऑटमैशन का कार्य किया गया, जिससे प्लेटफॉर्म पर कोई गाड़ी नहीं होने की स्थिति मे 30% लाइट चालू रहेंगी तथा गाड़ी आने के समय होम सिग्नल पार करने पर बची हुई 70% लाइट चालू हो जाएंगी तथा जाते समय स्टार्टर सिग्नल पार करने पर वही 70% लाइट बंद हो जाएंगी। इस प्रकार इस कार्य से लगभग अनुमानित रुपये 13 लाख सालाना की बचत होगी।
सौर उर्जा के लिए अच्छी पहल
भोपाल मण्डल में 33/.750KV का सबस्टेशन रानी कमलापति स्टेशन में बनाया गया है। इससे ना सिर्फ महंगे डीजल की बचत होगी बल्कि वातावरण के लिए भी यह फायदेमंद रहेगा। इस प्रकार डीजल की बचत होने से लगभग रुपये 60 लाख प्रतिवर्ष की बचत होगी। गुना, विदिशा, सांची स्टेशन मे बीएलडीसी फैन प्लेटफॉर्म एवं स्टेशन बिल्डिंग मे लगाए गए। इन पंखों के इस्तेमाल से बिजली की खपत घटेगी एवं लगभग साल मे रुपये 1.90 लाख की बचत होगी। पर्यावरण के लिए नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोत समय की मांग हैं।