- इस बार 12 से 15 करोड़ की राखियां बिकने का अनुमान है
- भोपाल में निर्मित राखियां प्रदेश के कई शहरों में बिक्री के लिए सप्लाई होती है
- इस बार देशी स्टाइल की राखियों को खूब पसंद किया जा रहा है
Bhopal News : कोरोना के कहर से मची तबाही के बाद अब सब कुछ नॉर्मल हो रहा है। तीन साल के बाद जिंदगी की मुस्कुराहट लौटने लगी है। कोरोना के चलते भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का गवाह रक्षा बंधन के त्योहर पर बिकने वाली राखियों के बाजार में भी मंदी का दौर छाया था। इस कारोबार से जुड़े लोगों के लिए घर चलाना मुश्किल हो गया था। अब सब कुछ पटरी पर लौटने लगा है तो राखियों के कारोबार में भी तेजी आई है।
राजधानी भोपाल में राखियों का सबसे बड़ा होलसेल बाजार है। यहां से हर वर्ष करोड़ों का राखी का कारोबार होता है। शहर के चौक बाजार के होलसेल व्यापारियों ने बताया कि राजधानी भोपाल में निर्मित राखियां प्रदेश के विदिशा सहित होशंगाबाद, छिंदवाड़ा बालाघाट, शिवपुरी व सुहागपुर आदि जिलों के अलावा और भी कई शहरों में बिक्री के लिए सप्लाई होती है। व्यापारियों ने बताया कि इस बार 12 से 15 करोड़ रुपए की राखियां बिकने का अनुमान है। हालांकि राखियों की डिजाइन हर साल बदलती रहती है। इस बार बाजार में हर- हर शंभू की तर्ज पर बिक रही राखियों में भगवान शिव को तरजीह दी गई है। जिसे शिवभक्त काफी पसंद कर रहे हैं।
त्रिशुल, डमरू, नंदी की सवारी, पड़ रही चीन पर भारी
राखियों के कारोबार से जुड़े व्यापारियों ने बताया कि मेक इन इंडिया स्लोगन के हावी होने के चलते राखियों का निर्माण अब देश में बड़े पैमाने पर होने लगा है। हालांकि कच्चा माल अभी भी चाइना से आयात हो रहा है। मगर इस बार की खास बात ये है कि देशी स्टाइल की राखियों को खूब पसंद किया जा रहा है। कारोबारी बताते हैं कि इस बार भगवान शिव सहित उनके प्रतीकों की डिजाइन की बनीं राखियों की बाजार में भारी मांग है। जिसमें शिव-पार्वती, त्रिशुल, डमरू, नंदी की सवारी, रूद्राक्ष वाली राखियां भोले के भक्तों को लुभा रही है। इसके अलावा डिजाइनर राखियों की भी भारी डिमांड है।