मध्य प्रदेश की भोपाल सेंट्रल जेल में कैदियों को 'गायत्री शक्तिपीठ' द्वारा पुजारी बनने और विभिन्न पारंपरिक अनुष्ठानों का संचालन करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। जेल अधीक्षक दिनेश नरगवे ने कहा कि जेलों के कैदी या तो अवसाद में हैं या आक्रामकता में हैं। उनमें से अधिकांश अधपढ़े और गरीब हैं। हमने कैदियों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता महसूस की ताकि वे अपने आसपास सकारात्मक ऊर्जा महसूस करें। सीखने के इच्छुक 50-60 कैदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहे हैं।
संदीप नाम के एक कैदी ने कहा कि मुझे हत्या के आरोप में कैद किया गया है। हमें आध्यात्मिक शिक्षा और संस्कारों के साथ-साथ प्रेम और सौहार्द के गुणों का प्रचार करना सिखाया जा रहा है। पहले हम तनाव में रहते थे लेकिन ट्रेनिंग के बाद शांति का अहसास होता है और हम समाज के एक हिस्से की तरह महसूस करते हैं।
वहीं गायत्री शक्तिपीठ के सदस्य सदानंद आंबेकर ने कहा कि हम इन कैदियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं क्योंकि वे समाज से जुड़े हुए हैं। उन्हें अनुष्ठान सिखाया जा रहा है ताकि वे लोगों की भलाई के लिए काम कर सकें। हम चाहते हैं कि वे समाज में एक मानवीय और सदाचारी व्यक्ति के रूप में वापस जाएं।