- पंचायत चुनाव में दोनों ही दिग्गज पार्टियों की राह नहीं है आसान
- कांग्रेस-भाजपा ओबीसी वर्ग को लुभाने के लिए कई दांव आजमा रहीं
- ओबीसी बाहुल्य इलाकों में जनरल कैटेगरी के प्रत्याशियों को नहीं दिया मौका
Madhya Pradesh Panchayat Election 2022 : मध्यप्रदेश में इस बार गांवों की सरकार चुनने को लेकर होने जा रहे पंचायत चुनाव में दोनों ही दिग्गज पार्टियों की राह आसान नजर नहीं आ रही है। अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर हुए शोर-शराबे के बीच कांग्रेस-भाजपा ओबीसी वर्ग को लुभाने के लिए कई दांव आजमा रही हैं। या यूं कहा जाए कि डैमेज कंट्रोल में जुटी हैं दोनों पार्टियां। जिसके तहत ओबीसी वर्ग के प्रत्याशियों को सामान्य सीटों पर टिकट बांटी गई हैं।
सूबे के करीब दो दर्जन जिलों की पड़ताल में सामने आया है कि यहां महज नौ प्रतिशत सीटें ओबीसी वर्ग के लिए रिजर्वड थीं। मगर, पार्टियों ने इन जिलों में सामान्य सीटों पर आधे से ज्यादा लोगों को चुनावी रण में उतारा है। आंकड़ों की अगर बात करें तो 129 सामान्य वर्ग की सीटों पर बीजेपी की ओर से 54 व कांग्रेस ने 41 प्रत्याशी उतारे हैं।
इन क्षेत्रों में भाजपा ने लगाई जोड़-तोड़
प्रदेश के कई इलाकों में बीजेपी की जोड़-तोड़ की रणनीति साफ नजर आ रही है। यहां के हरदा, खरगोन, बड़वानी, नर्मदापुरम, बैतूल, उज्जैन, खंडवा, नीमच, शाजापुर, मंदसौर, आगर-मालवा, झाबुआ, राजगढ़, सिहोर, रतलाम, देवास, सिहोर, आलीराजपुर, विदिशा व धार आदि जिलों की 328 जिला पंचायत सदस्यों की सीटों में ओबीसी के लिए महज 30 सीटें रिजर्वड थीं। लेकिन बीजेपी ने 51 और ओबीसी उम्मीदवारों को मौका दिया है। इधर, कांग्रेस भी भाजपा की ही चाल पर चलती दिख रही है। कांग्रेस ने 262 सीटों की घोषणा में 63 ओबीसी के लोगों को मौका दिया है, जिसमें 33 प्रत्याशी सामान्य सीटों पर उतारे हैं।
ये हैं गांवों की सरकार को लेकर इलाकेवार रणनीति
पंचायत चुनाव में इस बार पार्टियों ने इलाकेवार रणनीति के तहत ओबीसी की अधिकता वाले इलाकों में जनरल कैटेगरी के उम्मीदवरों को चुनाव मैदान में मौका ही नहीं दिया। वहीं सूबे के सागर और ग्वालियर क्षेत्र में उम्मीदवारों को पार्टियों का अधिकृत समर्थन नहीं मिला है। बीजेपी और कांग्रेस ने अभी तक अधीकृत उम्मीदवारों की लिस्ट जारी नहीं की है। केंडिडेट पार्टियों की मंशा को लेकर खुद ही दावे कर रहे हैं।