- करीब 1 हजार से अधिक लोगों को इस तरह के आदेश पर बेल मिल चुकी है
- शर्त पर बेल देने का प्रयोग वर्ष 2019 से लगातार जारी है
- पौधे रोपने के बाद उसकी फोटो निसर्ग एप पर डालना जरूरी
Madhya Pradesh Highcourt: मध्य प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण को लेकर न्यायिक व्यवस्था मेंं एक अनोखा तरीका निकाला है। जिसमें हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच की ओर से पौधे रोपने की शर्त पर किसी भी मामले के आरोपी को बेल दी जा रही है। इस बार मानसून के दो महीनों (जून व जुलाई) में ग्वालियर बेंच ने करीब 110 बेल के मामलों में एक्यूज्ड को पौधे रोपने की शर्त पर राहत दी है। जिसके चलते आरोपियों को न्यायालय की ओर से करीब 1150 पौधे रोपने के आदेश दिए गए हैं। आपको बता दें कि, इस मामले में सबसे अहम शर्त ये रखी गई है कि बेल के जरिए राहत पाने वाले लोगों को महज पौधे रोपने से छुटकारा नहीं मिलेगा।
बल्कि, उनकी तिमारदारी करने सहित ख्याल रखने के फोटो सोशल मीडिया की निसर्ग एप पर भी डालने की कंडीशन रखी है। गौरतलब है कि, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर बेंच में किसी भी मामले के आरोपी को पौधे रोपने व उनकी देखभाल करने की शर्त पर बेल देने का प्रयोग वर्ष 2019 से लगातार जारी है। अब तक के आंकड़ों की अगर बात करें तो करीब 1 हजार से अधिक लोगों को इस तरह के आदेश पर बेल मिल चुकी है। इस मामले में हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच की ओर से पर्यावरण के डवलपमेंट सहित अंडर वॉटर लेवल में सुधार को लेकर कई रिट दायर करने वालों को वॉटर हार्वेस्टिंग डेवलप करने की कंडीशन भी लगाई गई हैं।
एप से बढ़ रही हरियाली
हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच की ओर से रोपे गए पौधों की मॉनिटरिंग को लेकर निसर्ग एप को जिम्मेदारी दी गई है। इसके लेकर एप की ओर से पूरी निगरानी की जा रही है। जिसमें पौधों की ग्रोथ सहित उचित देखभाल का फीडबैक दर्ज किया जाता है। बेंच के दो न्यायाधिपति की पहल पर मैप आईटी महकमे की ओर से एप बनाया गया है। इस एप की खास बात ये है कि, उच्च न्यायालय की ओर से जिन्हें पौधे रोपने व वॉटर हॉर्वेस्टिंग के आदेश दिए जाते हैं। उनके मोबाइल में पहले एप डाउनलोड करवाया जाता है। इसके बाद उन लोगों को पौधे लगाने से लेकर उनकी परवरिश करने के फोटो एप पर अपलोड करनी होती हैं। पौधे लगाने वाले लोगों को कई दिनों के अंतराल पर खुद की ओर से रोपे गए पौधों की फोटो एप पर डालनी होती है। इससे निगरानी कर रहे अधिकारियों को पौधों की प्रोग्रेस की जानकारी मिलती रहती है। वहीं ये तय भी हो जाता है कि पौधे सही अवस्था में फलफूल रहे हैं। इस मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि, माननीय न्यायालय का इसके पीछे का मूल मकसद पर्यावरण की सुरक्षा व संरक्षण के साथ- साथ क्षेत्र में हरियाली को बढ़ाना है।