- 3 मंजिला होटल को अस्पताल में बदल दिया
- अस्पताल में आयुष्मान कार्ड धारक ही भर्ती किए जाते थे
- अब आयुष्मान योजना नोडल अधिकारी शक के घेरे में
MP Fraud: मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक होटल में चल रहे अस्पताल का हैरान करने वाला मामला सामना आया है। इस फेक हॉस्पिटल का भंडाफोड़ तब हुआ जब पुलिस एक निजी होटल पर रेड करने गई। आपको बता दें कि, गत दिनों जबलपुर के एक अस्पताल में हुए अग्रिकांड के बाद हाई कोर्ट के आदेशों पर अस्पतालों की जांच की जा रही है। जिसके तहत इस होटल वाले अस्पताल का खुलासा हुआ है। जैसे ही पुलिस होटल के अंदर घुसी तो दंग रह गई। होटल की जगह अस्पताल मिला। पुलिस के मुताबिक जानकारी सामने आई है कि, शहर में एक निजी अस्पताल के मालिक ने 3 वर्ष पहले अपने बेटे के लिए होटल बनवाया था।
कोविड महामारी के चलते होटल चला नहीं तो उसे बाद में अस्पताल में तबदील कर दिया गया। इसमें हैरानी की बात तो ये निकली की अस्पताल चलाने के लिए किसी प्रकार के नियम फॉलो नहीं किए गए। स्वास्थ्य महकमे से कोई भी परमिशन नहीं ली गई। इसमें खास बात ये सामने आई है कि, अस्पताल चलाने के लिए कई ब्रोकर हायर किए गए थे। बेईमानी की इस कहानी में एक और मामले का खुलासा हुआ कि, आयुष्मान कार्ड धारकों को अस्पताल संचालक एक हजार कैश देकर यहां भर्ती करते थे। मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलावाड़ की इंतेहा तो देखिए जांच के दौरान आईसीयू वार्ड में सिर्फ ऑक्सीजन के पाइप मिले। वहीं जांच में ये तथ्य भी उभरे की साधारण सर्दी, बुखार व जुकाम के मरीजों को भी कई दिनों तक एडमिट कर उनकी जेब हल्की कर रहे थे।
ऐसे खड़ा कर दिया फेक हॉस्पिटल
इस मामले को लेकर जबलपुर के पुलिस अधीक्षक एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने खुलासा करते हुए बताया कि, पुलिस ने शहर के राइट टाउन इलाके में एक 3 मंजिला होटल में रेड की थी। दरअसल पुलिस को किसी ने सूचना दी थी कि, एक होटल में हॉस्पिटल संचालित हो रहा है। इसके बाद एएसपी गोपाल खांडेल, लालगंज एसएचओ मधुर पटेरिया और आयुष्मान योजना के नोडल अधिकारी डॉ. धीरज गावंडे मौके पर गए। टीमा को मौके पर 3 मंजिला होटल में अस्पताल चलता दिखा तो वे हैरान रहे गए। रेड के दौरान फेक हॉस्पिटल में साधारण बीमारियों के 30 पेशेंट भी एडमिट मिले। अस्पताल संचालक अश्विनी पाठक से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि, बेटे के लिए होटल बनवाया था। लेकिन कोरोना महामारी के चलते होटल बंद हो गया। एसपी के मुताबिक फेक हॉस्पिटल के तीनों फ्लोर पर वार्ड बनें हैं। प्रथम तल पर कमरों को तोड़कर आईसीयू बना है, जिसमें 12 बेड हैं व ऑक्सीजन पाइप लगे हैं। चौंकाने वाली बात तो ये है कि, आईसीयू में जरूरी इंस्ट्रूमेंट भी नहीं हैं। एसपी के मुताबिक हॉस्पिटल में मरीजों के ऑपरेशन भी किए जाते हैं। वहीं दो नर्सें भी मिलीं।
यूं होती थी ठगी
एसपी के मुताबिक जांच में खुलासा हुआ है कि, इस फर्जी अस्पताल में दलाल मरीजों को यहां लाते थे। जिन्हें बतौर कमीशन 5 सौ रुपए दिए जाते थे। यहां पर सिर्फ आयुष्मान कार्ड धारक पेशेंट ही एडमिट किए जाते थे। जिन्हें एक हजार रुपए का भुगतान किया जाता था। एसपी के मुताबिक आयुष्मान योजना का दुरुपयोग होने के चलते एक बड़े स्कैम की आशंका है, जिसके बारे में आगे की जांच के बाद ही बताया जा सकता है। एसपी के मुताबिक हॉस्पिटल संचालक ने दावा किया कि, उनके पास सौ बेड की परमिशन थी। जबकि सीएमएचओ ने सभी दावे खारिज करते हुए जानकारी दी है कि, विभाग की ओर से रिकॉर्ड में ऐसे किसी हॉस्पिटल को संचालित करने की अनुमति नहीं है। ना ही किसी तरह का अनुज्ञा पत्र जारी किया गया है। सीएमएचओ के मुताबिक, कोविड महामारी के दौरान होटल को आइसोलेशन वार्ड के तौर पर छूट दी गई थी। मगर अब यह नियम रद्द कर दिया गया है। एसपी के मुताबिक जांच में आयुष्मान नोडल अधिकारी भी शक के घेरे में है। क्योंकि ये अस्पताल गत 3 वर्षों से संचालित हो रहा है। ऐसे में हर माह नोडल अधिकारी भी यहां जांच के लिए आते थे। मगर उनको कोई अनियमितता नहीं मिली।