- मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के एक गांव में पानी के लिए जूुझ रहे हैं ग्रामीण
- मीलों पैदल चलकर लाना पड़ता है लोगों को पानी
- सालों से बूंद बूंद पानी के लिए तरसता है बुंदेलखंड, लेकिन नहीं मिला अबतक कोई समाधान
छतरपुर: गर्मी, बुंदेलखंड और पानी की किल्लत इन तीनों का बहुत पुराना नाता है। बुंदेलखड़ में दशकों से चली आ रही पानी की समस्या का सभी सरकारें स्थाई समाधान निकालने में असफल रही हैं जबकि इससे संबंधित योजनाओं पर पानी की तरह पैसा बहाया जा चुका है। लेकिन हर साल गर्मी के अपने चरम पर पहुंचते ही बुंदलखंड के लोगों का बूंद बूंद पानी के लिए तरसने वाली खबरें आम हो जाती हैं।
ऐसी ही खबर मध्यप्रदेश के छतरपुर से जिले से आई है। बढ़ती गर्मी की वजह से छतरपुर के एक गांव के लोग पानी की किल्लत के चलते अपने गांव से दूर एक पहाड़ी से पानी ढोकर लाने को मजबूर हैं। पानी के लिए इन्हें लंबा पैदल रास्ता और उजाड़ पहाड़ियों को लांघना पड़ता है।
स्थानीय निवासी ने समाचार एजेंसी एनएनआई से बात करते हुए नेताओं और सरकारी अमले के प्रति रोष दर्ज करता हुए कहा, पहाड़ से झरना चलता है। पानी लाने के लिए 500 फीट गहरी घाटी लांघनी पड़ती है। सारा पैदल रास्ता है। पानी के मामले में किसी तरह की कोई सुविधा नहीं है। जब से इस गांव में बसे हैं तब से ये समस्या है। लोग आते हैं वोट मांगते और चले जाते हैं।'
हालांकि जैसे ही ये मामला सरकार के संज्ञान में आया कोरोना से जंग के बीच वो भी सक्रिय हो गई। छतरपुर के अपर कलेक्टर हिमांशु चंद्र ने कहा, ये मामला मेरे अभी संज्ञान में आया है। मैंने पीएचई को निर्देशित किया है कि अगर पानी की समस्या है तो तत्काल रिपोर्ट पेश करें ताकि हम नल जल योजना और अन्य किसी परियोजना के तहत समस्या को सुलझा सकें।'
मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के जिलों के लोग मजदूरी करने के लिए दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में जाते हैं लेकिन कोरोना के प्रकोप के कारण अधिकांश मजदूर इन दिनों वापस अपने गांव लौटे हैं या लौट रहे हैं। ऐसे में प्रचंड गर्मी के बीच हजारों की संख्या में लोग लौटेंग तो लोगों के लिए परेशानियां निश्चित रूप से बढ़ेंगी। सरकारी महकमा रिपोर्ट मांगने की कवायद में जुटा है। जबतक अमली जामा पहनाया जाएगा तबतक संभवत: बरखा रानी दस्तक दे चुकी होंगी।