- प्रॉपर्टी खरीद और ट्रांसफर कराने की जानकारी निगम को देना जरूरी
- जानकारी न देने वालों पर निगम रजिस्ट्री के दिन से ही लगाता है जुर्माना
- निगम अब तक ऐसे सैकड़ों लोगों को भेज चुका जुर्माने का नोटिस
Chandigarh Tax News: चंडीगढ़ के अंदर अगर आपने कोई प्रॉपर्टी खरीदी है या फिर ट्रांसफर करवाई है तो इसकी जानकारी तत्काल नगर निगम को भी दे दें। ऐसा न करने पर नगर निगम आपसे मोटा जुर्माना वसूलेगा। नगर निगम ने ऐसे सैकड़ों लोगों को जुर्माने के नोटिस भेज भी दिए हैं, जिन्होंने प्रॉपर्टी खरीदी या ट्रांसफर करवाई, लेकिन नगर निगम की टैक्स ब्रांच को इसकी जानकारी नहीं दी। नगर निगम ऐसे लोगों पर तब से 10 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगा रह है, जब से इन्होंने संपदा विभाग में रजिस्ट्री करवाई है। अब इन लोगों को जुर्माने के नोटिस भी मिलने शुरू हो गए हैं।
इस मामले में अब लोग रोष भी व्यक्ति कर रहे हैं। क्राफ्ड संस्था ने नगर निगम कमिश्नर आनिंदिता मित्रा को पत्र लिखकर मांग की है, कि प्रॉपर्टी का नाम चेंज होने पर लगने वाले जुर्माने को खत्म किया जाए। क्योंकि संपदा विभाग जब प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करता है तो यह उसकी जिम्मेदारी बन जाती है कि इसकी जानकारी वह नगर निगम को दे।
जानें क्या है पूरा नियम
नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, निगम के अंदर प्रॉपर्टी ट्रांसफर करवाने के तीन माह तक इसकी सूचना प्रॉपर्टी-हाउस टैक्स विभाग को देनी अनिवार्य है। ऐसे नहीं करने पर निगम की तरफ से प्रॉपर्टी होल्डर पर जुर्माना लगाया जाता है। निगम अधिकारियों के अनुसार, शहर में ऐसे सैकड़ों प्रॉपर्टी होल्डर्स हैं, जिन्होंने प्रॉपर्टी खरीद ली या ट्रांसफर करा ली, लेकिन इसकी जानकारी नगर निगम को नहीं दी है। ऐसे लोगों पर नगर निगम की तरफ से एकमुश्त 500 रुपये के अलावा प्रतिदिन 10 रुपये के हिसाब से जुर्माना लगाया जाता है। धीरे-धीरे कर कई लोगों का यह जुर्माना अब कई हजार रुपये तक पहुंच गया है। ऐसे लोगों को अब निगम की तरफ से नोटिस भेजा रहा है। निगम अधिकारियों का कहना है कि, जो लोग इस जुर्माने को नहीं भरेंगे, यह राशि उनके प्रॉपर्टी टैक्स में जोड़कर वसूल की जाएगी।
हाउस टैक्स कमेटी का प्रस्ताव नहीं मान रहे अधिकारी
पिछले साल नवंबर में नगर निगम चुनाव से पहले हाउस टैक्स कमेटी ने यह प्रस्ताव पास किया था कि, जो दस रुपये प्रति दिन के हिसाब से जुर्माना लिया जा रहा है, उसे खारिज कर दिया जाए। लेकिन यह प्रस्ताव अधिकारी मानने के लिए तैयार नहीं है। भाजपा पार्षद महेश इंद्र सिद्धू का कहना है कि, आने वाली सदन की बैठक में यह मामला उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि, यह जुर्माना चार्ज नहीं किया जाना चाहिए। पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर सिद्धू का कहना है कि, कई बार प्रॉपर्टी खरीदने के बाद इसकी जानकारी लोग नगर निगम को नहीं देते। जबकि एक्ट के अनुसार तीन माह के भीतर इसकी जानकारी देनी जरूरी है।