- मुफ्त बांटने की राजनीति पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सरकार को घेरा
- केजरीवाल ने कहा कि ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि मुफ्त में शिक्षा देना गुनाह है
- दिल्ली के सीएम ने पूछा कि फिर भाजपा ने 10 लाख करोड़ रुपए क्यों माफ किए?
Freebies politics : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि देश में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि मुफ्त में शिक्षा, बिजली और पानी देना अपराध है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कुछ लोगों के 10 लाख करोड़ रुपए माफ किए। कहा जा रहा है कि इनमें से कुछ उनके मित्र हैं लेकिन इस बारे में कोई चर्चा नहीं कर रहा है। मुफ्त बजिली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा।
मंत्री को मुफ्त में बिजली तो आम आदमी को क्यों नहीं?
दिल्ली के सीएम ने कहा कि इसे फ्री की रेवड़ी बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इससे राज्यों के राजस्व को नुकसान हो रहा है। इसलिए मुफ्त की ये सभी सुविधाएं बंद होनी चाहिए। देश आजादी की 75वां साल मना रहा है। केजरीवाल ने कहा कि 75वीं वर्षगांठ के मौके पर यह कहना है कि बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की वजह से राजस्व को घाटा हो रहा है, इससे बुरी बात नहीं हो सकती है। केजरीवाल ने पूछा कि मंत्रियों को यदि बिजली मुफ्त में मिल सकती है तो आम आदमी को क्यों नहीं?
'300 यूनिट बिजली और बेरोजगारी भत्ता दे सरकार'
केजरीवाल ने कहा कि वह मांग करते हैं कि सरकार, देश में मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, 300 यूनिट बिजली और बेरोजगारी भत्ता प्रदान करे। दिल्ली के सीएम ने कहा कि जिन लोगों के 10 लाख करोड़ रुपए माफ हुए हैं, इन लोगों को 'गद्दार' कहा जाना चाहिए और इनके खिलाफ जांच भी होनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने लोगों को यह कहते हुए आगाह किया कि 'देश में रेवड़ी बांटने की संस्कृति चल रही है। इस रेवड़ी के नाम पर लोगो से वोट मांगे जाते हैं। पीएम ने कहा कि इस तरह की 'रेवड़ी' देश के विकास के लिए 'बेहद खतरनाक' है।'
मुफ्त बांटने की राजनीति रही तो अर्थव्यवस्था ढह जाएगी, केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दलील
फ्रिबीज पर सुप्रीम ने भी की है टिप्पणी
गत चार अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस 'मुफ्त की रेवड़ी' पर बड़ी टिप्पणी की। एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि नीति आयोग, वित्त आयोग, सत्ताधारी दल और विपक्षी पार्टियों, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और अन्य संस्थाओं को भी इस मामले में सुझाव देने चाहिए कि आखिर इस ‘रेवड़ी कल्चर’ को कैसे रोका जा सकता है। गत तीन अगस्त को केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एससी से कहा कि फ्री बांटने से देश की अर्थव्यवस्था बर्बादी की कगार पर पहुंच जाएगी।