नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में कोरोना की ताजा लहर को फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक सेठ अप्रत्याशित नहीं मानते हैं। उनके मुताबिक ठंड के मौसम और इस दौरान बढ़ने वाले प्रदूषण को देखते हुए ऐसी स्थिति की आशंका थी। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में स्थिति में और भयावह हो सकती है। दिल्ली में कोरोना की ताजा स्थिति को लेकर पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित डॉक्टर सेठ ने दिल्ली में कोरोना संक्रमण की शुरुआत के आठ महीने बाद एक बार फिर मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि पर कहा कि इसका अनुमान पहले से था।
उन्होंने कहा, 'यह अप्रत्याशित नहीं है। हमें इसका अंदाजा था। चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों का भी यही अनुमान था, क्योंकि दो-तीन चीजें इकट्ठी हो रही थी। एक तो ठंड का मौसम आ रहा था। इसमें वैसे ही विषाणुजनित संक्रमण के मामले बढ़ते हैं। इसी समय प्रदूषण भी दिल्ली में बहुत तेजी से बढ़ता है। इसी समय पराली भी जलायी जाती है। मना किए जाने के बावजूद लोगों ने पटाखे छोड़े और प्रदूषण का स्तर बढ़ाया। इस परिस्थिति में अधिक उम्र के लोगों और हृदय, फेफड़े, मधुमेह ओर उच्च रक्तचाप व अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है।'
'और बिगड़ सकते हैं हालात'
डॉ. सेठ के मुताबिक, दूसरे चरण में जब दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि हुई थी। उस वक्त अधिकांश लोग पृथकवास के लिए अस्पतालों का रुख कर रहे थे। लेकिन अभी जो लोग अस्पतालों का रुख कर रहे हैं उनमें 75 से 80 प्रतिशत लोग गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंच रहे हैं। इनमें अधिकांश या तो वृद्ध है या किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं। ऐसे लोगों को इंटेसिव केयर यूनिट (आईसीयू) या क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) की ज्यादा जरूरत है। न मिले तो उनका बचना मुश्किल हो जाता है।
यह तो स्थिति आज की है लेकिन इससे भी भयावह स्थिति आगे आने वाली है, क्योंकि इस दौरान लोग इकट्ठे भी बहुत हुए हैं। त्योहारों के दौरान लोगों ने लापरवाहियां भी बरतीं। यहां तक कि लोगों ने मास्क पहनना भी छोड़ दिया, जैसे उन्हें लगा कि अब मस्ती करने का समय आ गया। अगले दो-चार हफ्तों में मामले और बढ़ेंगे, क्योंकि इस दौरान संक्रमित लोगों से फैलने वाले संक्रमण के मामले तेजी से सामने आएंगे।
'यह युद्ध जैसी स्थिति'
दिल्ली में बिगड़ते हालात के बीच केंद्र सरकार के हस्तक्षेप पर उन्होंने कहा, 'यह युद्ध जैसी परिस्थिति है। दुश्मन ने दिल्ली को घेर लिया है और वह रोज 8000 लोगों को घायल कर रहा है और 150 लोगों को मार रहा है। इसलिए अब समय आ गया है, सभी के एक साथ होने का। यह आरोप-प्रत्यारोप का समय नहीं है। केंद्र, राज्य, सभी राजनीतिक दल, चिकित्सक और जनता को मिलकर इस लड़ाई में विजय हासिल करनी है।
कोरोना से बचाव में मास्क पहनने को अहम बताते हुए उन्होंने ऐसा नहीं करने वालों पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाए जाने के संबंध में कहा, 'यह बहुत उपयुक्त कदम है। लोगों की लापरवाही बढ़ती जा रही है। सभी को यह समझना चाहिए कि मास्क न सिर्फ उसे सुरक्षित करता है, बल्कि दूसरों की भी रक्षा करता है। आपके पास विकल्प है, मास्क पहनो या फिर जुर्माना दो। बेहतर है लोग मास्क का उपयोग करें।
कोविड से बचाव के लिए वैक्सीन के संबंध में उन्होंने कहा कि अगले साल फरवरी-मार्च तक देश में कोराना के टीकाकरण की शुरुआत हो जाने की संभावना है। अभी छह महीने और सावधानी बरतनी है। यह छह महीने लोग खुद को ओर अपने परिवार को बचा लेंगे तो आगे का जीवन आसान हो जाएगा।
सिरो सर्वेक्षण कितना प्रभावी
दिल्ली में सिरो सर्वेक्षण कितना प्रभावी है, इस बारे में डॉ. सेठ ने कहा, 'सिरो सर्वे में अभी तक जो आंकड़े आए हैं, उसमें पता चला है कि लगभग 25% तक लोग ही जांच के दायरे में आए हैं। सिरो सर्वे में यह देखना ज्यादा जरूरी है कि 75 प्रतिशत लोगों का सिरो सर्वे ही नहीं हआ है। यह निर्भर करता है कि किस क्षेत्र में और किस तरीके से सर्वेक्षण किए गए, जांच के लिए किस उपकरण का इस्तेमाल हुआ। इस समय ज्यादातर साइलेंट पॉजिटिव हैं जिन्हें हम सुपर स्रपेडर कहते हैं। हमें और सतर्क होना है। अब आगे बढ़ना है तो आरटी-पीसीआर टेस्ट होनी चाहिए। हमें पता होना चाहिए कि कितने लोग प्रभावित हैं। मरीज को भटकना न पड़े इसके लिए व्यवस्था करनी होगी। यह सरकार का काम है।
दिल्ली में बढ़ते मामलों के बीच सभी को मिलकर काम करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, 'हिंदुस्तान में स्वास्थ्य को कभी महत्व नहीं दिया गया और इस क्षेत्र में अवसंरचना विकास पर ध्यान नहीं केंद्रित किया गया। सरकार को अवसंरचना विकास पर जोर देना होगा। इसमें उत्तम गुणवत्ता वाले चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल हैं। कोरोना काल में हमारे चिकित्सकों ने अपने जान की बाजी लगाकर लोगों की सेवा की। उनके योगदान को मैं सलाम करता हूं।'