- बवाना में बनकर तेयार हुआ लैंडफिल साइट
- औद्यगिक कचरा से मिलेगी पूरी तरह मुक्ति
- ट्रीटमेंट व स्टोरेज के साथ डिस्पोजल फैसेलिटी संयंत्र भी लगा
Bawana landfill Site: दिल्लीवासियों को कचरे के ढेर से जल्द ही मुक्ति मिल जाएगी। क्योंकि राजधानी के बवाना इलाके में देश की पहली सुरक्षित लैंडफिल साइट (एसएलएफ) बन कर तैयार हो गई है। इस एसएलएफ पर कचरे के निस्तारण के लिए ट्रीटमेंट व स्टोरेज के साथ डिस्पोजल फैसेलिटी संयंत्र भी लगाया गया है। इस एसएलएफ की सबसे खास बात यह कि, यहां पर कचरे का निस्तारण बिना जल एवं वायु प्रदूषण को फैलाए होगा। साथ ही यहां पर रिसाइकिलिंग की व्यवस्था भी रहेगी।
बता दें कि, इस लैंडफिल साइट और संयंत्र का डेवलपमेंट दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं ढांचागत विकास निगम (डीएसआइआइडीसी) द्वारा किए गए है। इसे बवाना के सेक्टर पांच स्थित प्रगति पावर प्लांट के बगल में 14 एकड़ जमीन पर तैयार किया गया है। इस लैंडफिल साइट और संयंत्र के परिचालन और संचालन का टेंडर मेसर्स तमिलनाडु वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड को मिला है।
इसी महीने से संयंत्र हो सकता है चालू
इस साइट को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की तरफ से इसके संचालन के लिए चार साल का सहमति पत्र भी जारी कर दिया गया है। वहीं इस साइट को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय का अनापत्ति प्रमाण पत्र काफी पहले ही मिल गया था। अधिकारियों के अनुसार इसी माह में यह लैंडफिल साइट एवं संयंत्र चालू हो जाएगा।
अभी कचरे के ढेर पर बैठा दिल्ली
बात दें कि, दिल्ली अभी कचरे के ढेर पर बैठा है। यहां के गाजिपुर स्थित लैंडफिल साइट पर पिछले सप्ताह आग लगने के कारण पूरे शहर में भारी प्रदूषण फैला। हालांकि इस संयंत्र के शुरू हो जाने के बाद भविष्य में दिल्लीवासियों को इस तरह के समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। डीपीसीसी की ओर से हालही में केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय को भेजी गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस लैंडफिल साइट पर औद्यगिक कचरा पहुंचना शुरू हो गया है। ऐसे में टीएसडीएफ संयंत्र और इंसीनरेटर भी अगले कुछ दिनों में काम करने लगेगा। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि राजधानी में प्रतिवर्ष करीब 2,944.68 मीट्रिक टन की दर से खतरनाक औद्योगिक कचरा निकलता है। वहीं इस कचरे की उत्पत्ति का स्त्रोत 2,026 औद्योगिक इकाइयों को बताया गया है। यह वो कचरा है जो कामन इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) के जरिये औद्योगिक इकाइयों के प्रदूषित जल का शोधन करने के बाद निकलता है।