- सीवेज समस्या को खत्म करेंगे डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
- दिल्ली में पांच जगहों पर लगाए जा रहे ये डिसेंट्रलाइज्ड एसटीपी प्लांट
- इनसे सीवरेज के पानी को साफ कर दोबारा किया जाएगा उपयोग
Delhi Sewage Problem: दिल्ली में पेयजल के साथ सीवेज भी एक बड़ी समस्या है। अब इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए दिल्ली की आप सरकार ने पहल शुरू कर दी है। दिल्ली सरकार राजधानी के कई इलाकों में अब डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने जा रही है। इसके पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पांच जगहों पर कार्य भी शुरू हो गया है। इन सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण दिल्ली जल बोर्ड द्वारा किया जाएगा। दिल्ली जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने इन निर्माणाधीन कार्य का निरीक्षण कर अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए।
संदेश विहार में बन रहे डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण करते हुए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि, इन्हें बनाते समय सौंदर्यीकरण का भी ध्यान रखा जाए। जल मंत्री ने कहा कि डिसेंट्रलाइज्ड एसटीपी का सौंदर्यीकरण करना जरूरी है। जिससे यहां के निवासियों को कोई परेशानी न हो।
ऐसे काम करेगा डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
जल मंत्री ने डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के मैकेनिज्म की जानकारी देते हुए बताया कि इसमें एक छोटा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा। जिसकी मदद से गंदे पानी को उसी जगह पर शुद्ध किया जा सके, जहां पर वह पैदा हो रहा है। इन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकले पानी को पार्क, बागवानी व उद्योगों में उपयोग किया जाएगा। जल मंत्री ने बताया कि दिल्ली सरकार का लक्ष्य डिसेंट्रलाइज्ड एसटीपी के जरिए दिल्ली के ज्यादा से ज्यादा सीवेज पानी को शुद्ध कर दोबारा यूज करने का है।
ये डिसेंट्रलाइज्ड प्लांट एसटीपी खाद की खरीद पर खर्च होने वाली राशि की बचत करेगा। यहां रिसायक्लड पानी में सभी आवश्यक पोषक तत्त्व होंगे और इस प्रकार किसी अतिरिक्त उर्वरक या खाद की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा दिल्ली की अधिकांश कॉलोनियों में बढ़ते जल प्रदूषण, दुर्गंध और भूमिगत जल स्तर में गिरावट के बोझ से मुक्ति भी मिलेगी।
इन पांच जगहों पर लगेंगे प्लांट
दिल्ली सरकार द्वारा पायलट पोजेक्ट के तहत अभी पांच जगहों पर ये डिसेंट्रलाइज्ड एसटीपी लगाए गए हैं। इसमें रोज गार्डन, शेख सराय, प्रह्लादपुर, संदेश विहार, मॉडल टाउन के इलाके शामिल हैं। ये डिसेंट्रलाइज्ड एसटीपी कॉलोनियों के अंदर पार्कों में लगाए जाएंगे। पायलट प्रोजेक्ट सफल होने पर अन्य जगहों पर भी इस तरह के प्लांट लगाए जाएंगे।