- दिल्ली की विधानसभा की 70 सीटों के लिए 8 फरवरी को होगा मतदान
- 11 फरवरी को आएंगे विधानसभा चुनाव के नतीजे, भाजपा-आप में मुख्य मुकाबला
- टिकट पाने की चाह में एक-दूसरे दल में शामिल हो रहे राजनीतिक दलों के नेता
नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा होने से पहले दल-बदलुओं का खेल शुरू हो गया है। टिकट पाने और अपनी जीत की संभावना तलाशते हुए नेता अलग-अलग दलों का दामन थामने लगे हैं। नेताओं में सबसे ज्यादा छटपटाहट आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल होने की दिख रही है। बीते कुछ दिनों में कई नेता मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी में शामिल हुए हैं। पार्टी छोड़ने का सिलसिला कांग्रेस पार्टी में सबसे ज्यादा है।
टिकट पाने की चाह में कई नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का भी रुख किया है। इस चुनाव में सबसे ज्यादा झटका कांग्रेस को लगता दिख रहा है। पार्टी के कई नेताओं ने आप में भरोसा जताते हुए उसमें शामिल हुए हैं। कांग्रेस के पूर्व सांसद महाबल मिश्रा के बेटे विनय कुमार मिश्रा आप में शामिल हुए हैं। मीडिया रिपोर्टों पर अगर विश्वास करें तो आने वाले दिनों में महाबल भी केजरीवाल की पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
अब तक आम आदमी पार्टी में कांग्रेस से शोएब इकबाल, रामसिंह नेताजी, हेमचंद गोयल, रत्नेश भाटी, पवन कुमार, शिवेंद्र नागर, राजेश कुमार, संजय प्रधान, लल्लन मिश्रा, बसपा नेता जय भगवान उपकार, दीपू चौधरी, जुगल अरोड़ा, प्रताप सिंह प्रधान, राजकुमारी ढिल्लो शामिल हो चुके हैं। सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में कुछ और बड़े नेता आप में शामिल हो सकते हैं।
महाबल मिश्रा दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार हैं। वह पश्चिमी दिल्ली संसदीय सीट से सांसद भी रह चुके हैं। मिश्रा के बेटे विनय का आप में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। चर्चा है कि महाबल भी आप में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, उन्होंने आप में खुद के शामिल होने के बारे में अभी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा है। हालांकि, उन्होंने इतना जरूर कहा कि बेटे के आप में शामिल होने की जानकारी उन्हें मीडिया के जरिए मिली।
बता दें कि दिल्ली की विधानसभा की 70 सीटों के लिए मतदान 8 फरवरी को होगा जबकि नतीजे 11 फरवरी को आएंगे। इस बार मुख्य और सीधा मुकाबला आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच माना जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन के बाद कांग्रेस कमजोर जरूर हुई है लेकिन वह कई सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती है। कांग्रेस का पूरा जोर अपना खोया हुआ जनाधार वापस पाने की है जबिक आप पार्टी अपने विकास कार्यों के आधार पर जनता से वोट मांग रही है।
भाजपा ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे कर आप को चुनौती दे रही है। भाजपा का आरोप है कि पिछले पांच सालों में केजरीवाल सरकार ने कोई काम नहीं किया है और चुनाव नजदीक आने पर उसने केवल वादे किए हैं। भाजपा आने वाले दिनों में पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की कई चुनावी रैलियां आयोजित करने जा रही है।