दिल्ली सरकार के दबाव के बाद दिल्ली का बिजली संकट फिलहाल टल गया है। रेलवे सूत्रों के मुताबिक़ अब दिल्ली को बिजली देने वाले NTPC के दोनों पावर प्लांट्स तक कोयले की सप्लाई दोगुनी कर दी गई है। दादरी और झज्जर में मौजूद अब इन कोल पावर प्लांट्स को हर रोज़ 8-8 रेक यानि मालगाड़ी कोयला दिया जाएगा। इन प्लांट्स को हर रोज़ 3 से 4 रेक कोयला मिल रहा था जिसकी वजह से कोयले का संकट खड़ा हो गया था और इन प्लांट्स में कोयले का स्टॉक ख़त्म होने की कगार पर था।
बारिश की वजह से कोयले की कम ख़ुदाई और ढुलाई की वजह से देश के कई पावर प्लांट्स में कोयले का स्टॉक काफ़ी कम हो गया है, इससे कई प्लांट्स में बिजली के उत्पादन पर असर पड़ने का भी आशंका जताई जा रही है।
135 बड़े थर्मल पावर प्लांट को सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी यानि CEA मॉनिटर करता है
फिलहाल देश के 135 बड़े थर्मल पावर प्लांट को सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी यानि CEA मॉनिटर करता है इनमें से क़रीब 120 प्लांट तक मालगाड़ियों से कोयला पहुंचता है, रेलवे को माल सप्लाई के लिए 750 रेक की ज़रूरत है लेकिन उसके पास 100 रेक ज़्यादा हैं। दूसरी तरफ 2 साल पहले मालगाड़ियों की औसर स्पीड 24 किलोमीटर प्रतिघंटे से बढ़कर क़रीब 46 किलोमीटर प्रतिघंटे हो चुकी है।
रेलवे की माल ढुलाई इस दौरान काफी बेहतर हुई
कोविड की वजह से ज़्यादातर लोकल ट्रेनों के बंद होने और DFC के कुछ सेक्शन के शुरू होने से यह संभव हो पाया है, यानि रेलवे की माल ढुलाई इस दौरान काफी बेहतर हुई है लेकिन माना जा रहा है कि पावर हाउसेस की प्लानिंग की कमी से कोयले के स्टॉक की कमी हुई है, हालांकि इस दौरान रेल, कोयला और पावर मिनिस्ट्री के अधिकारी लगातार हालात पर नज़र बनाए हुए हैं।
रेलवे से हर रोज़ क़रीब 435 रेक कोयले की ढुलाई हो रही है
फिलहाल रेलवे से हर रोज़ क़रीब 435 रेक यानि क़रीब 4000 टन कोयले की ढुलाई हो रही है, माना जा रहा है कि यह 450 रेक तक पहुंचने के बाद पावर हाउसेस में कोयले का संकट ख़त्म हो जाएगा। लेकिन इसके लिए कोयले का उत्पादन भी बढ़ाना होगा साथ ही लोडिंग का काम भी बारिश और सड़कों के टूटने की वजह से प्रभावित हुआ है।