- दिल्ली आबकारी नीति की सीबीआई जांच होगी
- मुख्य सचिव की रिपोर्ट में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का नाम
- अरविंद केजरीवाल ने किया बचाव, मनीष सिसोयदिया को बताया कट्टर ईमानदार
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति की जांच सीबीआई करेगी। मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने जांच की सिफारिश की। सिफारिश के साथ ही सियासत भी शुरू हो गई। बीजेपी ने पहले प्रेस कांफ्रेस के जरिए निशाना साधा तो शनिवार को सीएम केजरीवाल के घर के बाहर जबरदस्त प्रदर्शन कर रही है। इससे पहले पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज उतरे। उसके बाद डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और खुद सीएम अरविंद केजरीवाल उतरे। केजरीवाल ने सिसोदिया को कट्टर ईमानदार का तमगा दिया तो बीजेपी ने परलटकर वार किया कि कम से कम केजरीवाल ईमानदारी का तमगा तो ना दें।
अनियमिता के सबूत
मुख्य रूप से शीर्ष राजनीतिक स्तर पर वित्तीय क्विड प्रो क्वो का संकेत देते हैं, जिसमें आबकारी विभाग के प्रभारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने लिया और निष्पादित किया गया, वैधानिक प्रावधानों और अधिसूचित आबकारी नीति के उल्लंघन में बड़े निर्णय/कार्रवाइयां जो कि भारी थीं वित्तीय सम्भावनाए। उन्होंने निविदाएं दिए जाने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय सहायता प्रदान की और इस तरह राजकोष को भारी नुकसान हुआ।
नयी आबकारी नीति का बीजेपी ने किया था विरोध
रिपोर्ट से प्रथम दृष्टया राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम, 1991, व्यापारिक लेनदेन की नियमावली-1993, दिल्ली आबकारी अधिनियम, 2009 और दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के उल्लंघनों का पता चलता है।उन्होंने बताया कि इसके अलावा रिपोर्ट में ‘‘शराब के ठेकों के लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ’’ देने के लिए ‘‘जानबूझकर और घोर प्रक्रियागत खामियां करने’’ का भी जिक्र है।
दिल्ली में शराब-नीति पर आर-पार, आखिर कौन कट्टर ईमानदार, BJP पर AAP के आरोपों में कितना दम?
नयी आबकारी नीति 2021-22 पिछले साल 17 नवंबर से लागू की गयी थी, जिसके तहत 32 मंडलों में विभाजित शहर में 849 ठेकों के लिए बोली लगाने वाली निजी संस्थाओं को रिटेल लाइसेंस दिए गए। कई शराब की दुकानें खुल नहीं पायी। ऐसे कई ठेके नगर निगम ने सील कर दिए।भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने इस नीति का पुरजोर विरोध किया था और इसकी जांच के लिए उपराज्यपाल के साथ केंद्रीय एजेंसियों में शिकायत दर्ज करायी थी