- दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा पर PFI ने बयान जारी किया है
- पीएफआई ने हिंसा को मुस्लिम विरोधी कहा है
- PFI आरोपियों को कानूनी मदद मुहैया कराएगी
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के आरोपियों को कानूनी सहायता मुहैया कराएगी। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में दंगों की निष्पक्ष जांच की मांग की है। पॉपुलर फ्रंट ने दंगों से प्रभावित लोगों के लिए पर्याप्त मुआवजे की मांग की है। पीएफआई उन निर्दोष लोगों को कानूनी सहायता और राहत प्रदान करेगा जो हिंदुत्व हमले के शिकार हैं और जिन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा गलत तरीके से फंसाया गया है।
पीएफआई दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष परवेज अहमद ने एक बयान में कहा कि हनुमान जयंती जुलूस के दौरान दिल्ली के जहांगीरपुरी में मुस्लिम विरोधी हिंसा को गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, गोवा और पश्चिम बंगाल में रामनवमी की रैलियों के दौरान मुसलमानों पर हमले की निरंतरता के रूप में माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंसा की इन घटनाओं में एक पैटर्न है और हर जगह अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली समान थी, जैसे- मुस्लिम बहुल इलाकों में रैलियां करना, आपत्तिजनक नारों और गानों का इस्तेमाल करना और लोगों को हिंसा के लिए उकसाना।
परवेज अहमद ने कहा कि जहां देश में सैकड़ों विभिन्न प्रकार के धार्मिक आयोजन और त्यौहार नियमित रूप से शांतिपूर्वक आयोजित किए जाते हैं, वहीं ये इस बात का प्रमाण हैं कि संघ परिवार द्वारा धार्मिक आयोजनों को हिंसक बनाने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। यह हिंसा अत्यंत खेदजनक है क्योंकि हिंदुत्व द्वारा उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मुस्लिम-विरोधी जनसंहार किए हुए केवल दो साल ही हुए हैं और यह दुखद यादों को वापस लाता है जिसमें मौतें, चोटें और आजीविका का नुकसान होता है। आरएसएस और बीजेपी के नेताओं जैसे कपिल मिश्रा और रागिनी तिवारी ने 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी और जहांगीरपुरी हिंसा के पीछे की साजिशों में उनकी संलिप्तता अत्यधिक संदिग्ध है।
उन्होंने दिल्ली पुलिस की पूरी तरह एकतरफा और राजनीति से प्रेरित कार्रवाइयों को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि जहांगीरपुरी के वीडियो और तस्वीरों से साफ पता चलता है कि हनुमान जयंती के जुलूस अपने साथ तलवार, भाले और पिस्तौल लाए थे। लेकिन ऐसा क्यों है कि दंगे भड़काने के आरोप में केवल मुसलमानों को गिरफ्तार किया जा रहा है? परवेज अहमद ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी कटघरे में खड़ा किया।