दिल्ली के मुंडका में आग के घटना स्थल पर दमकल की गाड़ियां कथित तौर पर देर से पहुंचीं। इसी दौरान एक क्रेन चालक ने 50 से अधिक लोगों को बचाने का काम किया, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं। इमारत में भीषण आग लग गई थी। दयानंद तिवारी वाहन के मालिक के साथ क्रेन चला रहे थे, तभी वह आग की चपेट में आने वाली चार मंजिला इमारत के पास पहुंचे, जहां दमकल की गाड़ियां कथित तौर पर दिखाई नहीं दे रही थीं। आग की घटना में 27 लोगों की जान चली गई जबकि कई लोगों के लापता होने की खबर है।
तिवारी ने क्रेन और स्थानीय लोगों की मदद से 50 से अधिक लोगों की जान बचाने में कामयाबी हासिल की। हालांकि, अधिक लोगों को नहीं बचाने के लिए उन्हें दुख हुआ क्योंकि भीषण आग तेजी से फैल गई थी। उन्होंने कहा कि मैं मुंडका उद्योग नगर से आ रहा था तभी मैंने इमारत में आग देखी। क्रेन की मदद से हमने 50 से अधिक लोगों को बचाया, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं।
तिवारी के साथ क्रेन का मालिक और एक सहायक था। भीषण घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि दमकल की गाड़ियां डेढ़ घंटे बाद मौके पर पहुंचीं। बाद में आग भीषण हो गई और हम दूसरों को नहीं बचा सके। बचाव अभियान के दौरान हमारे क्रेन मालिक और हेल्पर भी मौजूद थे। बहुत ही भयावह नजारा था। मुंडका आग की घटना की जांच में दिल्ली पुलिस की मदद के लिए रविवार को फोरेंसिक साइंस की दो टीमें घटनास्थल पर पहुंचीं। घटनास्थल से पीड़ितों के जले हुए अवशेष भी मिले हैं। पुलिस ने कहा है कि मृतकों की पहचान के लिए फोरेंसिक डीएनए जांच की जाएगी।
फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक दीपा वर्मा ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि वरिष्ठ विशेषज्ञों सहित हमारी दो टीमें फिलहाल मौके पर काम कर रही हैं। वे अवशेषों की पहचान करेंगे और पहचान के उद्देश्य से नमूने उठाएंगे। एफएसएल के विशेषज्ञ मौके से नमूने की पहचान करने और उन्हें उठाने में पुलिस की सहायता करेंगे, जिसे बाद में जांच अधिकारी को सौंप दिया जाएगा। इस बीच फॉरेंसिक ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे एसके गुप्ता ने कहा कि आग से संबंधित अपराध स्थलों पर शव का पता लगाना, इकट्ठा करना और संभालना बहुत मुश्किल है।
13 मई को मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास आग की घटना में कुल 27 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। पुलिस उपायुक्त (बाहरी जिला) समीर शर्मा के अनुसार, कुल 50 लोगों को बचाया गया है। बरामद किए गए 27 शवों में से शनिवार दोपहर तक केवल सात की ही पहचान हो पाई।
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