दिल्ली को बिजली की सप्लाई देने वाली कंपनिया इसे लेकर चिंतित हैं । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री को ख़त भी लिखा है ।प्रधानमंत्री को लिखे ख़त में अरविंद केजरीवाल ने थर्मल पावर प्लांट में कोयले की किल्लत और कोयले की मौजूदा स्टॉक की जानकारी दी है ।
अरविंद केजरीवाल ने ये भी लिखा है कि कोयले की कमी के चलते गैस आधारित पावर प्लांट पर निर्भरता बढ़ती है लेकिन इतनी गैस नहीं है कि वह पावर प्लांट अपनी पूरी क्षमता पर चल सकें।
ऐसे में प्रधानमंत्री कार्यालय से मामले में दखल देने की गुजारिश के साथ तीन मांग की गयी हैं, ये हैं-
1. दूसरे पावर प्लांट से कोयला दादरी और झज्जर पावर प्लांट भेजा जाए।
2. दिल्ली के गैस आधारित पावर प्लांट को पर्याप्त गैस दी जाए।
3. इलेक्ट्रिसिटी एक्सचेंज में मुनाफाखोरी ना हो इसके लिए प्रति यूनिट बिजली बेचने का अधिकतम रेट तय किया जाए।
2 बजे से 6 बजे शाम तक बिजली की खपत सूझबूझ से साथ करें
उत्तरी दिल्ली में बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी TDPL ने अपने उपभोक्ताओं को मैसेज भेज कर कहा है कि आज 2 बजे से 6 बजे शाम तक बिजली की खपत सूझबूझ से साथ करें। कोयले की कमी की वजह से जनरेशन प्लांट्स में बिजली कम पैदा हो रही है। इस बारे में दिल्ली सरकार और TDPL की मीटिंग भी हुई ।
दिल्ली को पहले दादरी-2 प्लांट से 800 मेगावाट बिजली मिलती हैं लेकिन कोयले की कमी की वजह से अब सिर्फ 300 मेगावाट बिजली मिल रही है। बवाना के गैस बिजली प्लांट में उत्पादन बढ़ा दी गयी है। दादरी और झज्जर पावर प्लांट में एक ही दिन का कोयले का स्टॉक बचा है जबकि ये स्टॉक 30 दिन का होना चाहिए । इस परेशानी कि समाधान तलाशने के लिए सरकार और बिजली कम्पनियों के बीच हुई बैठक के बाद बिजली मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा।
'जितने भी प्लांट हैं, वे पहले से ही मात्र 55 फ़ीसदी कैपेसिटी पर चल रहे हैं'
"अगर सप्लाई नहीं आती है, तो दो दिन बाद पूरी दिल्ली में ब्लैक आउट होगा। जैसे ऑक्सीजन का क्राइसिस हुआ था, वो भी मैन मेड ही था, फिर से वैसी ही क्राइसिस नजर आ रही है कि कोयले की सप्लाई बंद कर दो।देशभर में जितने भी पावर प्लांट हैं, जो कोयले से चलते हैं, वहां पिछले कुछ दिनों से कोयले की बहुत कमी है।
दिल्ली को जिन पावर प्लांट से सप्लाई होती है, उन सभी को मिनिमम एक महीने का कोयला स्टॉक रखना होता है, लेकिन अब वो कम होकर 1 दिन का रह गया है, केंद्र सरकार से हमारी अपील है कि रेलवे वैगन का इंतजाम किया जाए और कोयला जल्द से जल्द प्लांट्स तक पहुंचाया जाए. जितने भी प्लांट हैं, वे पहले से ही मात्र 55 फ़ीसदी कैपेसिटी पर चल रहे हैं, 3.4 लाख मेगावाट की जगह आज सिर्फ 1 लाख मेगावाट मांग रह गई है, इसके बावजूद पावर प्लांट सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं।...तो दो दिन बाद पूरी दिल्ली में ब्लैक आउट होगा!
बवाना में हमारा 1300 मेगावाट का प्लांट है, जो गैस से चलता है, वहां गैस की सप्लाई कल बंद कर दी गई. केंद्र से हमने सप्लाई की मांग की, जिसके बाद सप्लाई मिल रही है. दिल्ली की तीनों कंपनियां खुद प्रोडक्शन नहीं करती हैं, दिल्ली में कोई भी कोयले का प्लांट नहीं है, तीन छोटे-छोटे प्लांट हैं, जहां गैस से प्रोडक्शन होता है, हम केंद्र के प्लांट पर डिपेंड हैं। अगर सप्लाई नहीं आती है, तो दो दिन बाद पूरी दिल्ली में ब्लैक आउट होगा। "