- राजधानी की करीब 16 सीटों पर है पूर्वांचल के लोगों का दबदबा
- भाजपा को मनोज तिवारी और कांग्रेस को कीर्ति आजाद पर भरोसा
- राजद और जद-यू लड़ेंगे चुनाव, मुख्यमंत्री नीतीश कर सकते हैं प्रचार
नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में बिहार की राजनीति का रंग भी देखने को मिलेगा। दरअसल, दिल्ली में पूर्वांचल के लोग काफी तादाद में रहते हैं और इन वोटों पर सभी दलों की नजर लगी हैं। आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस सभी पूर्वांचल के मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने की कोशिशों में जुटी हैं। भाजपा अपने सहयोगी जद-यू के साथ और कांग्रेस, राजद के साथ मिलकर अपना उम्मीदवार उतारेगी।
दिल्ली विस चुनाव के लिए राजद का कांग्रेस के साथ दिल्ली की बुराड़ी, किराड़ी, उत्तम नगर और पालम सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का समझौता हुआ है जबकि जद-यू, बुराड़ी और संगम विहार की सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। इन निर्वाचन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में यूपी और बिहार के लोग रहते हैं।
मीडिया रिपोर्टें के मुताबिक जद-यू के राष्ट्रीय महासचिव संजय झा ने दिल्ली में भाजपा और जद-यू के बीच गठबंधन की पुष्टि करते हुए कहा कि उनकी पार्टी अपने चुनाव चिह्न पर राजधानी की दो सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चर्चा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दो सीटों के लिए चुनाव प्रचार के लिए आ सकते हैं। साल 2013 के चुनाव में जद-यू ने एक सीट जीतने में सफलता पाई थी।
दिल्ली में बिहार, पूर्वी यूपी और झारखंड से आने वाले लोगों की संख्या पर यदि गौर करें तो यह दिल्ली की आबादी की करीब 30 प्रतिशत है। दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटों में करीब 16 सीटें ऐसी हैं जहां पूर्वांचल के लोगों का दबदबा है और ये लोग एकजुट होकर जिस पार्टी के पक्ष में मतदान करते हैं, चुनाव नतीजे उसी पार्टी के पक्ष में जाते हैं।
इस चुनाव में पूर्वांचल वोटों के लिए भाजपा अपने दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के चेहरे पर भरोसा जता रही है। तिवारी बिहार से आते हैं और भोजपुरी स्टार होने के नाते उनका प्रभाव यूपी और बिहार के पूरे भोजपुरिया समाज पर माना जाता है। पूर्वांचल के वोटरों को साधने के लिए भाजपा की नजर अपने भोजपुरी स्टार प्रचारकों पर है। आने वाले दिनों में पार्टी अपने सदस्यों पवन सिंह ओर दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनाव प्रचार के लिए उतार सकती है। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में दिनेश लाल यादव को आजमगढ़ सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था।
वहीं, कांग्रेस कीर्ति आजाद के जरिए पूर्वांचल के वोटरों को लुभाना चाहती है। पार्टी ने आजाद की पत्नी को टिकट भी दिया है। भोजपुरिया चेहरे की अगर बात करें तो कांग्रेस के पास इस समाज से कोई बड़ा चेहरा नहीं है। आम आदमी पार्टी के पास भी मनोज तिवारी जैसे भोजपुरिया चेहरे का अभाव है। हालांकि, पार्टी को अपने पांच साल के कार्यों पर भरोसा है। बता दें कि दिल्ली विस चुनावों के लिए मतदान 8 फरवरी को और नतीजे 11 फरवरी को आएंगे।