नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी स्थित एक गैर सरकारी संगठन के माध्यम से देह व्यापार का धंधा पीछे छोड़ कर अपनी चार साल की बेटी के साथ नयी जिंदगी शुरू करने वाली एक युवती का कहना है कि वह अब बहुत अच्छा महसूस कर रही हूं और पहले की जिंदगी को भूल जाना चाहती है।
बेटी को गोद में बिठाये युवती खुद का बनाया हुआ मास्क और क्रंचीज (बालों में लगाने वाला) दिखाते हुये उपरोक्त बातें कहती है और उसके चेहरे पर संतोष का भाव झलक रहा है।यह युवती उन कई महिलाओं में से एक है जिसने दिल्ली के जी बी रोड पर देह व्यापार के धंधे को छोड़ दिया है और एक गैर सरकारी संगठन के सहयोग से नयी जिंदगी की शुरूआत की है।
कोरोना वायरस महामारी इनलोगों के लिये एक वरदान साबित हुआ है क्योकि इन्होंने देह व्यापार का काम छोड़ने के लिये जबरन अपना रास्ता निकाला है और अब वह कपड़े का मास्क, थैला, चटाइयां, स्क्रंची, साड़ी का कवर और अन्य वस्तुयें बना कर जीवन यापन कर रही हैं।
यह परियोजना ‘हार्टशाला’ चलायी जा रही है
एक अन्य गैर सरकारी संगठन डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव इंडिया के सहयोग से यह परियोजना ‘हार्टशाला’ चलायी जा रही है। हार्टशाला की परियोजना संयोजक आरजू जॉली ने बताया कि पिछले साल राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद यह शुरू किया गया और इससे अब तक उन 15 महिलाएं लाभान्वित हुयी हैं जिन्होंने देह व्यापार का धंधा छोड़ दिया है उन्होंने बताया कि इन महिलाओं द्वारा बनाये गये उत्पादों को राष्ट्रीय राजधानी और केरल समेत देश के अन्य हिस्सों में बेचा जा रहा है।उन्होंने बताया कि कुछ महिलायें प्रशिक्षण पूरा कर अपने गांव लौट जा चुकी हैं।
एक महिला ने कहा, ‘‘मुझे अब अच्छा लग रहा है"
देह व्यापार का धंधा छोड़ कर प्रशिक्षण पूरा करने वाली एक अन्य महिला ने कहा, ‘‘मुझे अब अच्छा लग रहा है ।’’महामारी के कारण कई महिलाये जीबी रोड छोड़ने पर मजबूर हुयी हैं और आरजू का कहना कि महामारी से पहले यहां करीब चार हजार महिलायें देह व्यापार में संलिप्त थी । वह कहती है, ‘‘अब यह संख्या दो हजार के करीब होगा ।’’