- नए लाइसेंस के लिए 1000 रुपये की प्रोसेसिंग फीस अनिवार्य
- एमसीडी ने आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए बढ़ाई हेल्थ ट्रेड लाइसेंस की दरें
- हर तीसरे साल सालाना 15 फीसदी लाइसेंस फीस बढ़ा दी जाएगी
Delhi Health Trade License: दिल्ली में बैंक्वेट हॉल, होटल और रेस्तरां चलाने वाले व्यापारियों को अब महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी। एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) ने इन सभी की हेल्थ ट्रेड लाइसेंस की दरों को महंगा कर दिया है। जिसके बाद बैंक्वेट हॉल, होटल और रेस्तरां को लाइसेंस लेने और नवीनीकरण के लिए ज्यादा रुपये खर्च करने होंगे। दिल्ली नगर निगम के एकीकरण के बाद लिया गया यह बड़ा फैसला है। एमसीडी ने निगम को आर्थिक रूप से मजबूत करने के मकदस से हेल्थ ट्रेड लाइसेंस की दरें बढ़ाई हैं।
ट्रेड लाइसेंस की दरें बढ़ाने का सबसे ज्यादा प्रभाव उत्तरी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली के इलाके पर देखने को मिलेगा। पहले जब तीन अलग-अलग नगर निगम थे तो इन दोनों इलाके में मौजूद बैंक्वेट हॉल, होटल और रेस्तरां की दक्षिणी निगम क्षेत्र की तुलना में हेल्थ ट्रेड लाइसेंस की दरें कम थीं, लेकिन एमसीडी के एकीकरण के बाद अब पूरी दिल्ली में दरें एक समान हो गई हैं।
एक महीने तक किसी भी तरह का देरी शुल्क नहीं
अब बैंक्वेट हॉल, होटल और रेस्तरां मालिकों को नए लाइसेंस के लिए 1000 रुपये की प्रोसेसिंग फीस अलग से अनिवार्य तौर पर देनी होगी। वहीं डी-सीलिंग की स्थिति में नए लाइसेंस लेने पर हर साल लाइसेंस शुल्क का तीन गुना ज्यादा भुगतान करना होगा। हालांकि अब लाइसेंस नवीनीकरण करवाने में एक्सपायरी डेट के एक महीने तक किसी भी तरह का देरी शुल्क नहीं देना होगा, लेकिन अगर इसके बाद देर होती है तो लाइसेंस फीस का 10 फीसदी हर महीने भुगतान करना होगा। इसके अलावा अब हर तीसरे साल सालाना 15 फीसदी लाइसेंस फीस बढ़ा दी जाएगी।
एमसीडी ने 94 श्रेणियों में हेल्थ लाइसेंस पंजीकरण की दरें बढ़ाईं
एमसीडी ने 94 श्रेणियों में हेल्थ लाइसेंस पंजीकरण की दरें बढ़ाई हैं। इसमें बैंक्वेट हॉल, होटल, रेस्तरां के अलावा जिम, सैलून, पान की दुकान, कैटरिंग, खाने-पीने की दुकानों, कॉफी हाउस, धर्मशाला, बेकरी, मिठाई की दुकान, फ्लोर मिल, मेडिकल स्टोर, गेस्ट हाउस और आइसक्रीम फैक्ट्री सहित अन्य व्यापार शामिल हैं। इसका सबसे ज्यादा असर ढाबा और बैंक्वेट हॉल मालिकों पर पड़ेगा। पहले बैंक्वेट हॉल मालिकों को सालाना 5000-25000 रुपये तक लाइसेंस फीस देनी होती थी, जो अब बढ़कर 25000 रुपये भरने पड़ेंगे। वहीं ढाबा मालिकों को सालाना 2500-10000 रुपये अदा करने होते थे लेकिन अब सीधा 25 हजार रुपये देने होंगे।