- दिल्ली में अपनी मांगों को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर का कार्य बहिष्कार जारी
- अस्पतालों में OPD बंद होने से मरीजों को हो रही है भारी परेशानी
- NEET PG 2021 की काउंसलिंग में देरी को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं डॉक्टर्स
नई दिल्ली: नीट-परास्नातक कॉउंसलिंग (NEET-PG counseling) स्थगित किये जाने के विरोध में राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) लगातार विरोध जता रहा है। आरएमएल के रेज़िडेंट डॉक्टर्स की माने तो अब देश में नया वेरीयंट दस्तक दे चुका हैं लिहाज़ा पहले और दूसरे वेव की तरह आगे अगर तीसरी वेव आती हैं तो उनके के लिए परेशानी बढ़ने वाली हैं क्योंकि डाक्टर्स की नई भर्तिया नहीं हुई हैं। NEET PG 2021 परीक्षा हो चुकी हैं लेकिन अभी तक काउन्सलिंग नहीं पाई हैं और नई भर्तियां नहीं हुई हैं और जब तक ये नए डॉक्टर्स आएँगे तब तक हमारा वर्क लोड बना रहेगा ।
रेजिडेंट डॉक्टर्स के प्रदर्शन में सीनियर रेज़िडेंट , जूनियर रेज़िडेंट और पीजी डॉक्टर शामिल हैं। आज अस्पताल में चल रही ओपीडी में इनमें से कोई भी डॉक्टर्स शामिल नहीं हैं। डॉक्टर्स की स्ट्राइक में केंद्र सरकार के अधीन आने वाले अस्पताल सफदरजंग, लेडी हार्डिंग अस्पताल , आरएमएल के अलावा दिल्ली सरकार के अंदर आने वाले अस्पताल भी शामिल हैं।डॉक्टर्स का कहना है, 'मंत्री ने हमें आश्वासन दिया था की काउन्सलिंग का मसला जो सुप्रीम कोर्ट में चल रहा हैं उसे फ़ास्ट ट्रैक कराने की कोशिश करेंगे , लेकिन अभी तक उसपर कुछ बात आगे बढ़ी नहीं इसलिए हम दुबारा प्रदर्शन कर रहे हैं।'
क्या हैं पूरा मामला-
बीते 1 साल में पीजी काउंसलिंग यानी नीट एग्जाम पास कर चुके डॉक्टरों की काउंसलिंग नहीं हुई है इस मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में चल रही है, जिसमें केंद्र सरकार को 6 जनवरी तक अपना पक्ष रखना है। इसके चलते प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की माने तो राजधानी दिल्ली समेत लगभग सभी बड़े मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में एमडी पीजी डॉक्टरों की संख्या में एक तिहाई तक कमी आ चुकी है।
आरक्षण
गौरतलब है कि भारत के संविधान में आरक्षण की सीमा 50% है जिसमें पहले आर्थिक आधार पर रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता था, लेकिन केंद्र सरकार ने संविधान संशोधन के साथ 2019 में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10% आरक्षण रखा है ,जो इस बार नीट काउंसलिंग में लागू किया गया है। जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है कि अगर आर्थिक रूप से पिछड़े और ओबीसी क्रीमी लेयर का आधार प्रति परिवार ₹800000 सालाना है, तो देश के 95% परिवार जिसके अंतर्गत आ जाते हैं। जिससे मौलिक रूप से गरीबों को उनका अधिकार नहीं मिलेगा और 95% लाभार्थी 10% सीटों पर आरक्षण के लिए जद्दोजहद करेंगे।
हड़ताल का असर
सुनवाई जल्दी करनी और केंद्र सरकार से सहयोग के मुद्दे पर आज राजधानी दिल्ली के तमाम बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेज के साथ पूरे देश के मेडिकल कॉलेजों में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। रेजिडेंट डॉक्टर आपातकालीन स्थिति को छोड़कर ओपीडी का काम छोड़कर प्रदर्शन में शामिल हुए हैं,जिसका असर ओपीडी फैसिलिटी में देखने को मिल रहा है।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर उन्हें जल्दी की तारीख नहीं मिलती और सरकार की तरफ से सहयोग नहीं मिलता तो आगे विरोध प्रदर्शन और हड़ताल को व्यापक गति दी जा सकते है। मौजूदा समय में जब महामारी खत्म नहीं हुई कोविड-19 के नए म्यूटेशन देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में डॉक्टरों की हड़ताल की आशंका और विरोध प्रदर्शन हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं के लिए बड़ी चुनौती है।