- ऑक्सीजन ऑडिट पैनल की रिपोर्ट पर बीजेपी और आप आमने सामने
- एम्स निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने रिपोर्ट को अंतरिम बताया
- रिपोर्ट में जिक्र है कि दिल्ली सरकार ने जरूरत से चार गुणा अधिक ऑक्सीजन की डिमांड की थी
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने शनिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा उनकी अध्यक्षता में नियुक्त समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट एक अंतरिम रिपोर्ट है।दो सदस्यों दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (गृह) बी एस भल्ला और मैक्स हेल्थकेयर के क्लीनिकल डायरेक्टर संदीप बुद्धिराजा ने नतीजे पर सवाल उठाए।भल्ला ने 30 मई को उनके साथ साझा की गई 23-पृष्ठ की अंतरिम रिपोर्ट पर अपनी आपत्तियां और टिप्पणियां दीं। विवाद से आगे बढ़ने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी को एकसाथ काम करने का आह्वान किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अगली कोविड लहर में ऑक्सीजन की कमी न हो।
बीजेपी ने केजरीवाल सरकार पर लगाए हैं संगीन आरोप
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति की उस रिपोर्ट के बाद शनिवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से "ऑक्सीजन कुप्रबंधन" के लिए माफी मांगने की मांग की, जिसमें कहा गया है कि यहां की सरकार ने महामारी की दूसरी लहर के दौरान जीवन रक्षक गैस की खपत को "बढ़ा चढ़ाकर’’ कर बताया था।शुक्रवार को रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद भाजपा ने दिल्ली सरकार पर "आपराधिक लापरवाही" का आरोप लगाया, जबकि आप नेता एवं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि ‘‘फर्जी’’ रिपोर्ट भाजपा कार्यालय में तैयार की गई।
बीजेपी ने रिपोर्ट का दिया है हवाला
गुप्ता ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने ‘‘आवश्यकता से चार गुना अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति की मांग की जिसके कारण अन्य राज्यों में जीवन रक्षक गैस की आपूर्ति की कमी हो गई।’’उन्होंने कहा, ‘‘वह (केजरीवाल) केवल अपने कुप्रबंधन को छिपाने के लिए ऑक्सीजन की कमी का बहाना लेकर आए। यदि केजरीवाल ने अपनी गलती और कथित ऑक्सीजन संकट के कारण दहशत का माहौल बनाने की कोशिश करने के लिए अगले 24 घंटे में माफी नहीं मांगी तो भाजपा उनके खिलाफ जन आंदोलन शुरू करेगी।’’
सुप्रीम कोर्ट ने गठित की थी उप कमेटी
अप्रैल-मई में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान राष्ट्रीय राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत का ऑडिट करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित उप-समूह की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की खपत ‘‘बढ़ा-चढ़ाकर’’ बतायी और 1140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का दावा किया, जो 289 मीट्रिक टन की आवश्यकता से चार गुना अधिक थी।समिति ने कहा कि दिल्ली सरकार ने "गलत फॉर्मूले" का उपयोग करते हुए 30 अप्रैल को मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का आवंटन करने की मांग की।