दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की नर्सों ने मंगलवार रात को हड़ताल वापस ले ली। एम्स नर्स यूनियन के एक प्रतिनिधि ने कहा, "हम दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को स्वीकार कर रहे हैं। हमें बुधवार को अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है। हम ऐसा करेंगे और अदालत के फैसले के आधार पर हम अपनी भविष्य की कार्रवाई तय करेंगे।
करीब दो साल पहले हुई थी बड़ी हड़ताल
एम्स प्रशासन के साथ बैठक के बाद एम्स नर्स यूनियन ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी है। एसोसिएशन का कहना है कि प्रशासन की तरफ से उनकी मांगों पर गंभीरता के साथ विचार करने का भरोसा दिया गया है। कोविड काल में मरीजों की परेशानी देखते हुए फैसला किया गया है। इससे पहले एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कोविड और गंभीर मरीजों का हवाला देते हुए हड़ताल पर नहीं जाने की अपील की थी।
वेतनमान को लेकर थी हड़ताल
नर्सों की हड़ताल पर एम्स प्रशासन ने बयान जारी किया था। प्रशासन का कहना था कि यूनियन दिल्ली HC के निर्देशों के उल्लंघन में हड़ताल पर चला गया है। 6वें वेतनमान से संबंधित म मांगों पर गंभीरता से विचार हुआ। लेकिन नर्सिंग एसोसिएशन ने गंभीर रोगियों को बीच में ही छोड़ दिया।एम्स प्रशासन ने महामारी के संकट के दौरान नर्सेस यूनियन से हड़ताल पर नहीं जाने और मरीज की देखभाल में तुरंत लौटने की अपील की थी।नर्स एसोसिएशन का कहना था कि उनकी मांग बहुत पुरानी है। लेकिन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया। अब ऐसी सूरत में उनके पास किसी तरह का विकल्प नहीं है। वो भी समझते हैं कि इससे परेशानी होना लाजिमी है। लेकिन हड़ताल के सिवाए और कोई दूसरा विकल्प नहीं था।