- सीएए प्रदर्शन और फिर कोविड-19 के संकट के चलते महीनों से बंद थीं यहां की दुकानें
- गत 18मई को दिल्ली सरकार ने नियमों का पालन करते हुए दुकानें खोलने की छूट दी
- शाहीन बाग में दुकानें खुल गई हैं लेकिन अभी लोग यहां खरीदारी करने आने से हिचक रहे हैं
नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ कई महीनों तक प्रदर्शन का केंद्र रहे शाहीन बाग में करीब पांच महीने के बाद शुक्रवार को दुकानें खुलीं। लॉकडाउन के चौथे चरण में ढील मिलने के बाद यहां की दुकानें के ताले खुले। सीएए के खिलाफ यहां 15 दिसंबर से धरना-प्रदर्शन शुरू हुआ जिसके बाद से यहां की दुकानें बंद थीं। यहां के दुकानदारों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में उनके कारोबार में तेजी आएगी।
इलाके के एक दुकानदार दिवेश ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, 'दुकानें खुल गई हैं लेकिन अभी भी ग्राहक आने से कतरा रहे हैं। यहां एक समय खरीदारी करने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते थे लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं। यहां एक दिन में 15 से 20 लोग ही आ रहे हैं।' उन्होंने बताया कि पिछले पांच महीनों से हमने किराया नहीं दिया और इस वजह से वह अपना कारोबार को बचाए रखने में कामयाब रहे।
लॉकडाउन में दुकानें खुलने की मली है छूट
दिल्ली सरकार ने गत 18 मई को अपने निर्देश में कहा कि ऑड-इवन नियम को अपनाकर दिल्ली में दुकानें एवं बाजार खोले जा सकते हैं। शाहीन बाग के एक अन्य दुकानदार मुकेश ने कहा, 'दुकानें लंबे समय तक बंद रहने से हम अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन दे सकने की स्थिति में नहीं हैं। अब बिक्री धीरे-धीरे जोर पकड़ रही है ऐसे में हम पूरा वेतन दे पाएंगे।'
दिल्ली में कोरोना से 194 लोगों की जान गई
लॉकडाउन के चौथे चरण में राजधानी की ज्यादातर दुकानें अब खुलने लगी हैं लेकिन वस्तुओं की बिक्री अभी रफ्तार नहीं पकड़ पाई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी में कोविड-19 के अब तक 11,659 केस सामने आ चुके हैं। इस दौरान उपचार के बाद 5,567 लोगों को ठीक किया जा चुका है। इस महामारी से 194 लोगों की जान गई है।
कोविड-19 के चलते खाली हुआ धरना स्थल
शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को आशंका है कि आने वाले समय में सरकार उनसे अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज की मांग कर सकती है। इस संदेह पर उन्होंने अपना प्रदर्शन शुरू किया था। धरने पर बैठने वाले लोगों में ज्यादातर बुजुर्ग महिलाएं थीं। इस प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने के लिए दो लोगों को वार्ताकार नियुक्त किया था। इस बीच कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए प्रदर्शनकारी उस स्थल से हट गए। फिर बाद में दिल्ली पुलिस ने धरना स्थल को खाली करा लिया।