- 11 अक्टूबर से ‘पूसा के जैव विघटन’ घोल का छिड़काव होगा
- इस घोल का छिड़काव जब खेतों में किया जाएगा
- इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और खाद का इस्तेमाल कम हो सकेगा
नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में गैर बासमती चावल की फसल वाले खेतों में पराली जलाए जाने को रोकने के लिए 11 अक्टूबर से ‘पूसा के जैव विघटन’ घोल का छिड़काव कराएगी।उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के वैज्ञानिकों ने पराली जलाए जाने की समस्या से निपटने के लिए सरल, प्रभावी और कम खर्च वाले उपाय की तलाश कर ली है।
दक्षिणी-पश्चिमी दिल्ली के खरखरी नहर गांव में स्थापित सरकार की केंद्रीकृत जैविक-विघटन प्रणाली का मुआयना करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने (वैज्ञानिकों ने) ‘जैव-विघटन’ कैप्लूस तैयार किया है जिसका इस्तेमाल घोल तैयार करने में हुआ है। इस घोल का छिड़काव जब खेतों में किया जाएगा तो फसल के अपशिष्ट इससे सड़-गल जाएंगे और यह खाद में तब्दील हो जाएंगे।उन्होंने कहा कि इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और खाद का इस्तेमाल कम हो सकेगा।
इस साल दिल्ली सरकार उन खेतों में इस घोल का इस्तेमाल करेगी जहां बासमती चावल नहीं उपजाए जाते हैं।उन्होंने कहा कि ऐसा आकलन किया गया है कि 700 हेक्टेयर की कृषि भूमि में पराली से निपटने में 20 लाख रुपये का खर्चा आएगा। इस खर्चे में तैयारी, यातायात और छिड़काव सब शामिल है। उन्होंने कहा कि किसानों को बस अनुमति देनी होगी और दिल्ली सरकार मुफ्त में उनके खेतों में इसका छिड़काव करा देगी।
वहीं दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का कहना है कि इस घोल के जरिए हम दिल्ली में एक तरह का मॉडल तैयार करना चाहते हैं ताकि कोई भी सरकार पराली जलाने की बहानेबाजी न कर सके। जब विकल्प मौजूद है तो जो कोई भी गंभीरता से प्रदूषण कम करना चाहते हैं, उन्हें इसका इस्तेमाल करना चाहिए।