- दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ाई के कम घंटों पर सवाल
- न्यूनतम 200 दिन या 800 घंटे क्लास जरूरी
- दिल्ली के स्कूलों में महज 2 घंटे की पढ़ाई का आरोप
उत्तर पूर्वी दिल्ली के कुछ सरकारी स्कूलों में रोजाना दो घंटे या हफ्ते में तीन ही दिन पढ़ाई होने का मामला एक याचिका के जरिए दिल्ली हाईकोर्ट में उठाया गया है। याचिका के मुताबिक ये स्कूल खजूरी, सभापुर, तुकबीरपुर, सोनिया विहार, करावल नगर में चल रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार की इस नाकामी की वजह से इन स्कूली बच्चों के ‘शिक्षा के अधिकारों’ का हनन हो रहा है।
सोशल ज्यूरिस्ट ने लगाई अर्जी
सोशल ज्यूरिस्ट नाम की संस्था द्वारा दाखिल की गई याचिका के मुताबिक इन स्कूलों में अज्ञात कारणों से सिर्फ 2 घंटे की पढ़ाई से एक लाख से ज्यादा छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। याचिका के जरिए कोर्ट को जानकारी दी गई है कि सितंबर के महीने में ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन ने दो बार दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल को पत्र लिखकर इन स्कूलों की समस्या को उठाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। याचिका में 'निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009' ( Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009) का हवाला देते हुए किसी भी स्कूल में पढ़ाई के घंटों का ब्यौरा दिया गया है। जिसके मुताबिक:
कम क्लास की संख्या पर सवाल
पहली क्लास से पांचवीं क्लास तक एक शैक्षणिक सत्र में न्यूनतम 200 दिन या 800 घंटे, क्लास 6 से लेकर 8 तक 220 दिन या 1000 घंटे की क्लास होनी चाहिए। लेकिन जब बच्चों को दिन में दो ही घंटे या हफ्ते के दिन ही पढ़ाया जा रहा है तो ये 'शिक्षा के अधिकार कानून' के कई प्रावधानों का उल्लंघन है। याचिका में ये दलील दी गई है कि दिल्ली सरकार की वजह से छात्र पढ़ाई के लिए हतोत्साहित हो रहे हैं। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने दिल्ली सरकार को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी।