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पंजाब में AAP को मिल गया अपना CM चेहरा! सर्वे में सामने आया नाम

पुलकित नागर | SPECIAL CORRESPONDENT
Updated Dec 15, 2021 | 12:03 IST

Punjab Assembly Elections : भगवंत मान पार्टी के वफादार नेताओं में से एक हैं। पंजाब में AAP के इकलौते सांसद हैं। पंजाब में पार्टी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाते हैं। AAP पंजाब चुनाव में इस बार कोई मौका नहीं चूकना चाहती।

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पंजाब में अगले साल की शुरुआत में होने हैं विधानसभा चुनाव।
मुख्य बातें
  • किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा हैं राजेवाल, पंजाब से आते हैं
  • AAP पंजाब में दो लोगों को लेकर इंटरनल सर्वे करा रही है
  • पंजाब में अगले साल की शुरुआत में होने हैं विधानसभा चुनाव

चंडीगढ़ : आम आदमी पार्टी का पंजाब में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा ये सवाल पंजाब की राजनीति में बड़ा है। AAP उस चेहरे की तलाश में लगी है जो पंजाब में पार्टी का वोट बैंक बढ़ा दे। पार्टी सूत्रों कि माने तो अब AAP को एक ऐसा नाम मिल गया है। वो नाम है किसान आंदोलन के बड़े चेहरे बलबीर सिंह राजेवाल। राजेवाल किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरे हैं। पंजाब से आते हैं। पंजाब का किसान उनसे काफी प्रभावित भी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक AAP पंजाब में दो लोगों को लेकर इंटरनल सर्वे करा रही है। इसमें पंजाब से AAP के सांसद भगवंत मान और बलबीर सिंह राजेवाल का नाम शामिल है।

AAP के इकलौते सांसद है भगवंत मान

भगवंत मान पार्टी के वफादार नेताओं में से एक हैं। पंजाब में AAP के इकलौते सांसद हैं। पंजाब में पार्टी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाते हैं। AAP पंजाब चुनाव में इस बार कोई मौका नहीं चूकना चाहती, इसलिए इन दोनों नेताओं के नाम पर पार्टी इंटरनल सर्वे करा रही है। इस इंटरनल सर्वे कि रिपोर्ट के आधार पर AAP का पंजाब में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा ये तय होगा। 

किसान आंदोलन से जुड़े हैं बलबीर सिंह राजेवाल
 
पार्टी के सूत्र बताते हैं कि ये दोनों ही चेहरे पंजाब के लोगों के बीच बहुत चर्चित हैं। बलबीर सिंह राजेवाल जहां किसानों को बहुत प्रभावित करते हैं तो वहीं भगवंत मान युवाओं और शहरी इलाकों में बड़े वोट बैंक को प्रभावित करते हैं। अरविंद केजरीवाल पहले ही कह चुके हैं कि 'पंजाब में AAP का मुख्यमंत्री उम्मीदवार जो होगा उस पर पंजाब को गर्व होगा'। यह बात कहीं न कहीं किसान आंदोलन से जुड़े बलबीर सिंह राजेवाल के नाम को और मजबूत करती है क्योंकि तीनों कृषि कानून की वापसी में राजेवाल की बड़ी भूमिका रही है।