- पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत 15 करोड़ लोगों का लाभ पहुंचाने का दावा है।
- प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत, किसान सम्मान निधि योजना के जरिए पार्टी लाभार्थियों को बड़ा वोट बैंक बानती है।
- प्रदेश में सबसे ज्यादा ओबीसी वोटर हैं।
नई दिल्ली: वैसे तो उत्तर प्रदेश की चुनावी राजनीति में जातिगत समीकरण ही मायने रखते हैं। लेकिन भाजपा जातिगत समीकरण को साधने के अलावा एक ऐसे वोट बैंक पर दांव लगाने की कोशिश कर रही है। जिसके जरिए वह सभी जातियों में सेंध लगाना चाहती है। जिससे कि विपक्षी दलों के गठबंधन को मात दे सके। पार्टी का इसके जरिए केंद्र और राज्य की योजनाओं पर भरोसा है, जिसने उसे 2017 से प्रमुख रूप से लागू किया है।
कौन सी है योजनाएं
- कोरोना काल में सबसे बड़ा संकट लोगों को भोजन की व्यवस्था करना था। इसके लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत यूपी के 15 करोड़ गरीब लोगों को मार्च 2022 तक 5 किलो चावल या गेहूं ,1 किलो दाल, 1 लीटर तेल, नमक एवं चीनी दी जा रही है।
- इसी तरह राज्य के डेढ़ करोड़ परिवार ऐसे हैं, जिन तक केंद्र सरकार की ओर से उज्ज्वला स्कीम के तहत एलपीजी कनेक्शन पहुंचाए गए हैं। इसकी सबसे बड़ी लाभार्थी महिलाएं हैं।
- पार्टी को इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राज्य के 33 लाख लाभार्थियों से भी बड़ी उम्मीद है। इसी तरह मुख्यमंत्री आवास योजना के जरिए भी घर का फायदा पहुंचा है। इसके अलावा 70 प्रतिशत से अधिक लोगों ने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगी है। और किसान सम्मान निधि, आयुष्यमान भारत, विधवा पेंशन योजना से पार्टी को वोट साधने की उम्मीद है।
चलेगा दांव
राजनीतिक विश्लेषक से लेकर भाजपा के अंदर भी यह मानना है कि 2019 में 300 से ज्यादा सीटें मिलने में कल्याणकारी योजनाओं का बड़ा हाथ रहा है। और ऐसा ही फायदा एक बार मिल सकता है। अगर ऐसा होता है तो भाजपा को जातिगत समीकरण में सेंध लगाकर एक नए वोट बैंक का साथ मिल सकता है। खैर यह तो 10 मार्च के परिणामों से साफ होगा।
यूपी के जातिगत समीकरण
उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों पर जातीय समीकरणों को देखा जाय तो पहले नंबर पर पिछड़ा वर्ग, दूसरे नंबर पर दलित और तीसरे नंबर पर सवर्ण और चौथे नंबर पर मुस्लिम समुदाय आता है। प्रदेश में ओबीसी वोटर्स की संख्या सबसे अधिक 40 फीसदी से ज्यादा है। वहीं दलित वोटरों की संख्या करीब 22 फीसदी है। वहीं सवर्ण जातियां करीब 18 से 20 फीसदी है। इसके साथ ही मुस्लिम वोटर भी 17 से 18 फीसदी है।
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