- भाजपा ने महिला नेत्रियों को चुनाव प्रचार का चेहरा बनाकर, महिला मदताताओं को लुुभाने की कोशिश शुरू कर दी है।
- दूसरे दलों से भाजपा में आई महिला नेत्रियों को चेहरा बनाकर, भाजपा सपा-कांग्रेस को बैकफुट पर लाने की कोशिश में है।
- उज्जवला, इज्जतघर, फ्री राशन, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर जैसी योजनाओं पर भाजपा का दांव
नई दिल्ली: बीते रविवार (23 नवंबर) को लखनऊ की सड़कों पर अलग ही नजारा दिखा। भारतीय जनता पार्टी की तीन प्रमुख नेत्री अपर्णा यादव , अदिति सिंह और प्रियंका मौर्य सड़कों पर प्लेकार्ड लिए हुए नजर आई। तीनों पार्टी के डोर-टू-डोर कैंपेन के तहत मतदाताओं को यह भरोसा दिलाने की कोशिश कर रही थी, कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में प्रदेश की बहू-बेटियां सुरक्षित हैं। इसके लिए पार्टी खास तौर से उन महिला नेताओं को चेहरा बनाया है, जो हाल ही में दूसरे दलों को छोड़कर भाजपा में शामिल हुई हैं। पार्टी इनके जरिए मतदाताओं में यह संदेश देना चाह रही है कि भाजपा ही वह पार्टी है जो महिलाओं का न केवल सम्मान करती है बल्कि उन्हें सुरक्षा भी प्रदान करती है। इसलिए दूसरे दलों की महिला नेत्रियां भी भाजपा में शामिल हो रही हैं।
सपा और कांग्रेस पर निशाना
असल में अपर्णा यादव, अदिति सिंह या प्रियंका मौर्य इन सभी नेत्रियों ने हाल ही में भाजपा का दामन थामा है। अपर्णा यादव समाजवादी पार्टी को छोड़कर आई है। और यह अखिलेश यादव के लिए एक बड़े झटके के समान है क्योंकि अपर्णा यादव मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू है।
इसी तरह अदिति सिंह रायबरेली से कांग्रेस की विधायक थी, अब उन्होंने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। वहीं प्रियंका मौर्य कांग्रेस के "मैं लड़की हूं, लड़ सकती हूं" अभियान की पोस्टर गर्ल थी। लेकिन उन्होंने भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर भाजपा का दामन थाम लिया।
महिला नेत्रियों के जरिए प्रमुख योजनाओं का प्रचार
इस बार चुनाव में भाजपा ने प्रमुख महिला नेत्रियों के जरिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा, महिलाओं के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में प्रचार करने की योजना बनाई है। इसी के तहत पार्टी की महिला नेत्रियों द्वारा उज्ज्वला , इज्जतघर, फ्री राशन, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, ई-श्रम कार्ड जैसे कदमों को प्रमुखता से उठाया जा रहा है। पार्टी की रणनीति है कि ऐसी योजनाओं को ज्यादा से ज्यादा महिला नेताओं द्वारा लोगों तक पहुंचाया जाय।
कानून व्यवस्था से अखिलेश पर निशाना
भारतीय जनता पार्टी शुरू से कानून व्यवस्था को लेकर न केवल 2012-2017 के बीच समाजवादी पार्टी के कार्यकाल पर निशाना साध रही है। बल्कि कानून व्यवस्था में सुधार को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बता रही है। साफ है कि भाजपा M (महिला) फैक्टर के जरिए न केवल अखिलेश यादव के जातिगत समीकरण को तोड़ना चाहती है बल्कि महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था का मुद्दा उठाकर, अखिलेश यादव को घेरना चाहती है।
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महिलाएं बिगड़ सकती हैं जातिगत समीकरण ?
असल में अखिलेश यादव 2022 में जातिगत समीकरण को साधने में लगे हुए हैं। इसी के तहत वह न केवल कई भाजपा के नेताओं को तोड़कर ओबीसी मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने की कोशिश में है। बल्कि ओम प्रकाश राजभर, कृष्णा पटेल, जयंत चौधरी, शिवपाल सिंह यादव सहित दूसरे दलों के नेताओं को अपने साथ तोड़कर जातिगत वोट साधने की कोशिश में हैं। अब भाजपा महिला मतदाताओं को लुभाकर जातियों में सेंध लगाना चाहती है। अब देखना यह है कि भाजपा का यह दांव कितना कारगर होता है।
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