मुख्य बातें
- पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए हो रही है मतगणना
- उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम पर है सबकी नजर
- सुबह 8 बजे शुरू होगी वोटों की गिनती की प्रक्रिया
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं। सभी उम्मीदवारों की किस्मत EVM( इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) में कैद हो चुकी है। गुरुवार 10 मार्च को जब मशीनें खुलेंगी तो इस बात का फैसला हो जाएगा कि कौन सी पार्टी इन राज्यों की सत्ता पर काबिज होगी।
लेकिन हर किसी के मन में यह सवाल उठता है कि ईवीएम के जरिए वोटों की गिनती कैसे होती है। ईवीएम के जरिए वोटों की गिनती कुछ नियमों के अनुसार होती है। आईए उन नियमों को जानते हैं।
- सबसे पहले ईवीएम को स्ट्रॉग रूम से काउंटिग सेंटर पर लाया जाता है।
- मतगणना स्थल पर रिटर्निंग ऑफिसर के अलावा चुनावी उम्मीदवार, इलेक्शन एजेंट, काउंटिंग एजेंट सहित अन्य आलाधिकारी मौजूद रहते हैं।
- गिनती की पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है।
- जिस जगह काउंटिंग होती है उस बेंच और काउंटिंग एजेंट के बीच बैरिकेटिंग होती है।
- काउंटिंग हॉल में मोबाइल फोन ले जाना प्रतिबंधित होती है।
- गिनती की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है।
- हर चरण की गिनती में 14 ईवीएम एक साथ खोली जाती हैं।
- आमतौर पर एक पोलिंग बूथ में एक ईवीएम का उपयोग किया जाता है जिसमें 1200 मतदाता मतदान करते हैं। लेकिन कोरोना की वजह से इस बार एक बूथ पर 800 से 900 मतदाताओं तक सीमित कर दी गई थी।
- एक दौर में 14 ईवीएम के हिसाब से तकरीबन दस हजार से 12 हजार मतों की गिनती होती है।
- हर दौर की गितनी के बाद मतों को बोर्ड पर लिखा जाता है।
- किस बूथ की ईवीएम को किस टेबल पर रखा जाएगा इसका चार्ट पहले से तैयार कर रहा है।
- मतगणना की शुरुआत पोस्टल बैलेट की गिनती के साथ होती है।
- पोस्टल बैलेट की गिनती के बाद ईवीएम के वोटों की गिनती शुरू होती है।
- वोटों की गिनती के लिए मशीन में मौजूद रिजल्ट वन बटन को दबाया जाता है। इसके बाद पता चलता है कि किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले हैं।
- परिणाम को बड़े बोर्ड पर डिस्प्ले किया सकता है और लाउड स्पीकर के जरिए घोषणा भी की जाती है।
- सभी 14 टेबल पर मौजूद मतगणना कर्मी हर राउंड में फॉर्म 17-सी भरकर पोलिंग एजेंट से दस्तखत कराए जाते हैं।
- हर चरण में मतों की गितनी के बाद चुनाव अधिकारी 2 मिनट का इंतजार करते हैं। ये वक्त इसलिए दिया जाता है कि अगर किसी एजेंट को कोई आपत्ति हो तो वो दर्ज करा सके।
- वोटों की गिनती में अगर किसी को आपत्ति हो तो पुनर्गणना कराने का फैसला रिटर्निंग ऑफीसर पर निर्भर करता है। लेकिन उसे अपने निर्णय के लिए उम्मीदवार को आश्वस्त करना होता है।
- हर राउंड के बाद रिटर्निंग ऑफीसर को मुख्य निर्वाचन अधिकारी को रिटर्निंग ऑफिसर को देनी होती है।
- वीवीपैट मशीन को भी अब ईवीएम के साथ जोड़ा जाता है। जिनके साथ वोटों का मिलान किया जाता है। वीवीपैट की व्यवस्था इसलिए की गई है कि किसी तरह के विवाद और ईवीएम के साथ छेड़खानी के विवाद से बचा जा सके।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एक निर्वाचन क्षेत्र की पांच ईवीएम के वोटों का वीवीपैट से मिलान किया जा सके।