- सात मार्च को आखिरी चरण का चुनाव
- जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, वाराणसी में चुनाव
- इन जिलों में राजभर आबादी की तादाद अधिक
सात मार्च को यूपी में अंतिम चरण का चुनाव होना है और राजनीतिक दलों के नेताओं ने बनारस में डेरा जमा रखा है। लड़ाई अंतिम चरण की है तो नेताओं की बोली भी बहकी हुई है। मऊ सदर से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी उम्मीदवार अब्बास अंसारी अधिकारियों को धमकी देते हुए कहते हैं कि पहले तो 6 महीने वो हिसाब किताब करेंगे फिर उसके बाद ट्रांसफर होगा। दूसरी तरफ ओमप्रकाश राजभर ने योगी सरकार के बारे में भविष्यवाणी की। उन्होंने कहा कि तारीख 10 मार्च और समय 10 बजे योगी जी का जाना तय है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसके साथ ही मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है, चल संन्यासी मंदिर में गाना भी बजेगा।
ओ पी राजभर के बयान का मतलब
अब सवाल यह है कि ओमप्रकाश राजभर के इस बयान के पीछे का मतलब क्या है। दरअसल सातवें चरण में जिन जिलों में चुनाव हो रहा है उन जिलों में राजभर आबादी ज्यादा है। एक तरह से उनकी साख दांव पर लगी है। ओमप्रकाश राजभर जहां गाजीपुर की जहूराबाद सीट से अपनी किस्मत आजमां रहे हैं वहीं उनके बेटे वाराणसी की शिवपुर सीट से चुनावी मैदान में है। सियासी हल्के में माना जा रहा है कि जिस तरह से समाजवादी पार्टी ने सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश की है उसे जमीर पर उतारना बेहद जरूरी है। ये वो जिले हैं जहां बीजेपी को 2017 से पहले बड़ी कामयाबी नहीं मिली थी। ऐसे में इस चरण में होने वाला चुनाव बीजेपी और सपा गठबंधन के लिए जरूरी है।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि नेता अपनी जुबां को जानबूझकर फिसलने देते हैं ताकि वो लाइमलाइट में बने रहें। सातवें चरण का चुनाव आखिरी चरण का चुनाव है, लिहाजा हर एक दल की कोशिश होगी कि वो ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करे। अगर बात आप ओमप्रकाश राजभर की करें तो यह चरण उनके लिए अहम इसलिए है क्योंकि अगर वो प्रदर्शन करने में नाकाम रहे तो गठबंधन में ही उनकी बातों का वजन कम हो जाएगा। अगर गठबंधन की सरकार बनती है तो वो अपनी दावेदारी दमदार तरीके से नहीं रख पाएंगे।