- ओवेसी की पार्टी को मिले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 0.47 प्रतिशत वोट
- उत्तर प्रदेश में नोटा को मिले ओवैसी की पार्टी से ज्यादा वोट
- उत्तर प्रदेश में भर रहे थे सत्ता पर काबिज होने का दंभ, राजभर के साथ शुरुआत किया था असफल गठबंधन
नई दिल्ली: बड़े जोरशोर के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उतरने वाले ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है। जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े और मुस्लिम आबादी के लिहाज से भी सबसे बड़े राज्य की 403 सीटों वाली विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी।
नोटा को मिले ओवैसी से ज्यादा वोट
खबर लिखे जाने तक 403 सीटों में AIMIM को 0.47 प्रतिशत वोट मिले हैं। अगर इन्हें वोटों में तब्दील किया जाए तो यह संख्या 3,77,475 होती है। ओवैसी की पार्टी का प्रदर्शन उत्तर प्रदेश में इतना खराब रहा है कि उसके खाते में नोटा से भी कम वोट आए। कुल वोट में NOTA का प्रतिशत 0.69 रहा। यानी यूपी में 5,76,502 लोगों ने नोटा को चुना। नोटा को ओवैसी की पार्टी से 1,99,027 लाख अधिक वोट मिले।
राजभर की पार्टी के साथ किया था गठबंधन
आचार संहिता लागू होने से पहले से ही असदुद्दीन ओवैसी उत्तर प्रदेश में राजनीतिक फील्डिंग जमाने में जुट गए थे। उन्होंने ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ समझौता किया और छह-छह महीने में मुख्यमंत्री बदलने का फॉर्मूला दिया। लेकिन राजभर ने ओवैसी का साथ छोड़ दिया और सपा का दामन थाम लिया। ऐसे में अब उनकी पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है।
महाराष्ट्र और बिहार में जीत का परचम लहराने के बाद ओवैसी उत्तर प्रदेश में भी अपनी छोड़कर मुस्लमानों की नुमाइंदगी का जिम्मा लेना चाहते थे लेकिन उत्तर प्रदेश के मुसलमानों ने साइकिल पर भरोसा किया।