- कांग्रेस के कई नेताओं ने टिकट मिलने के बाद भी पार्टी का साथ छोड़ दिया है।
- 2017 में जीतने वाले आधे विधायक पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं।
- कांग्रेस ने इस बार सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
नई दिल्ली: 2019 में पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश और बाद में पूरे प्रदेश की कमान संभालने के बाद प्रियंका गांधी अपनी पहली परीक्षा के बेहद करीब हैं। लेकिन लगता है कि परीक्षा के पहले ही उनकी तैयारी लड़खड़ा गई है। उनके कई सिपहसलारों ने ऐन मौके पर पार्टी का साथ छोड़ दिया है। हालत यह है कि जिन नेताओं को पार्टी टिकट भी दे रही हैं, वह भी साथ छोड़, दूसरे दलों का दामन थाम रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या प्रियंका गांधी परीक्षा देने से पहले ही बैकफुट पर आ गई हैं।
कांग्रेस के 7 में से 4 विधायकों ने छोड़ा साथ
2017 के चुनावों में कांग्रेस 7 विधायक जीत कर आए थे। लेकिन 2022 आते-आते उनकी संख्या केवल 3 रह गई है। पार्टी का अदिति सिंह, राकेश सिंह, मसूद अख्तर, नरेश सैनी साथ छोड़ चुके हैं। और इस समय केवल प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार 'लल्लू', सोहेल अख्तर अंसारी, अराधना मिश्रा पार्टी में बचे हैं।
कई कद्दावर नेताओं ने छोड़ा साथ
इस चुनावी मौसम में कई ऐसे नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ा है जो प्रियंका गांधी के बेहद करीबी माने जाते थे। सहारनपुर के इमरान मसूद उनमें से एक हैं। उन्होंने यह कहकर पार्टी का साथ छोड़ दिया है कि कांग्रेस ने उन्हें बहुत कुछ दिया है लेकिन अगर भाजपा को रोकना है तो समाजवादी पार्टी ही, उसे रोक पाएगी। जबकि इमरान मसूद के जरिए पार्टी पश्चिमी यूपी में बड़ी आस लगाए बैठी थी। 2017 में मसूद ने अपने दम पर, कांग्रेस को सहारनपुर में 2 सीटें दिलाईं थी। इसी वजह से पार्टी ने उन्हें प्रदेश में उपाध्यक्ष का पद दे रखा था।
इसी तरह पश्चिमी यूपी से पूर्व सांसद और प्रियंका गांधी के सलाहकार समिति के सदस्य रहे हरेंद्र मलिक भी समाजवादी पार्टी का दामन थाम चुके हैं। इसके अलावा जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के बेटे राजेश पति त्रिपाठी और मिर्जापुर के मड़िहान से पूर्व विधायक ललितेश त्रिपाठी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा राजा रामपाल, मनोज तिवारी, कुमारी विमलेश, ऊषा मौर्य जैसे नेताओं ने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया है।
टिकट मिलने पर भी इन नेताओं ने छोड़ा साथ
पार्टी के एक सूत्र का कहना है 'ज्यादातर उन नेताओं ने साथ छोड़ा है जो प्रियंका गांधी के कमान संभालने के बाद अहसज महसूस कर रहे थे। यह लंबी लड़ाई है, प्रियंका गांधी भविष्य के लिए पार्टी में कई अहम बदलाव कर रही है। वही टिकेगा जिसके इरादे मजबूत होंगे।' लेकिन प्रियंका गांधी की चुनौती यह है कि उनका साथ, वे नेता भी छोड़ रहे हैं, जिन पर वह भरोसा कर रही है और उन्हें टिकट दिया जा रहा है।
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प्रियंका गांधी को सबसे बड़ा झटका प्रियंका मौर्य ने दिया जो कि उनके सबसे प्रमुख अभियान 'लड़की हूं ,लड़ सकती हूं' का चेहरा थी। उन्होंने टिकट बेचने का आरोप लगाकर भाजपा ज्वाइन कर ली। इसी तरह रामपुर के स्वार विधानसभा सीट के कांग्रेस का टिकट पा चुके हैदर अली खां ने पार्टी छोड़ दी। उनके अलावा बरेली कैंट से कांग्रेस प्रत्याशी सुनीता ऐरन ने सपा का दामन थाम लिया। वहीं पडरौना सीट से टिकट पा चुके मनीष जायसवाल ने भी आरपीएन सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद, इस्तीफा दे दिया।
पार्टी में भविष्य नहीं दिख रहा है सुरक्षित
अगर आरपीएन सिंह, इमरान मसूद जैसे नेताओं के कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद के बयान को देखा जाय तो साफ है कि कांग्रेस नेताओं को 2022 के दंगल में भविष्य नहीं दिखाई दे रहा है। क्योंकि जिस तरह अभी तक 2022 की लड़ाई भाजपा बनाम समाजवादी पार्टी होती जा रही है, उससे साफ है कि पिछली बार केवल 6 फीसदी वोट पाने वाली कांग्रेस लिए इस लड़ाई में मजबूत टक्कर देना आसान नहीं हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार कही न कहीं पार्टी भी 2022 से ज्यादा 2024 के लिए ज्यादा उम्मीद कर रही है।
प्रियंका गांधी ने की गठबंधन की बात
प्रियंका गांधी यही कहती रही है कि उनकी पार्टी चुनावों में किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। लेकिन हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान, उन्होंने यह जरूर कहा है कि चुनाव के बाद वह भाजपा छोड़ किसी भी पार्टी से गठबंधन के लिए तैयार है। इसका सीधा मतलब है कि पार्टी को यह अहसास है कि वह अपने दम पर सरकार नहीं बना सकेगी। अब देखना यह है कि प्रियंका गांधी अपनी पहली परीक्षा में इतने झटकों के बाद क्या कारनामा दिखाती हैं।
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