- सिद्धधू और चन्नी में बढ़ती दूरी से आलाकमान सतर्क हो गया है।
- कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस की अंतर्कलह का फायदा उठा सकते हैं।
- कैप्टन अमरिंदर इस बार पंजाब विधानसभा चुनावों में भाजपा के साथ गठबंधन की तैयारी में हैं।
नई दिल्ली: लगता है नवजोत सिंह सिद्धू का पंजाब में मुख्यमंत्रियों से 36 का आंकड़ा है। पहले अपने ही पार्टी के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से उनकी नहीं बनीं और अब नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से भी नहीं बन रही है। हालात ऐसे हैं कि पार्टी के लोग ही सिद्धू पर तंज कसने लगे हैं। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी ट्वीट के जरिए कटाक्ष किया है कि ‘आपके बंदर, आपकी सर्कस’। साफ है कि कांग्रेस में कैप्टन को हटाने के बाद भी अंतर्कलह खत्म नहीं हुआ है। और उसका फायदा अमरिंदर सिंह, चुनावों में उठा सकते हैं।
मुख्यमंत्री से बढ़ने लगी है दूरियां
ढाई महीने पहले सितंबर में चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह ली थी। चन्नी को गद्दी, आलाकमान ने सिद्धू और कैप्टन के बीच चल रही लड़ाई के बाद दी थी। आलाकमान को उम्मीद थी कि सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर और दलित चेहरे के रूप में चन्नी को मुख्यमंत्री का पद देकर, चुनावों में मजबूत से ताल ठोकी जाएगी। लेकिन चन्नी और सिद्धू के बीच वैसी ही खटास बनती जा रही है। जैसी कभी अमरिंदर सिंह के साथ सिद्धू की थी।
ताजा मामला पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा बनाई गई जिला कांग्रेस समितियों के अध्यक्षों की लिस्ट का है। जो कि इस समय पार्टी हाईकमान के पास अटक गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार हाईकमान प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू की तैयार की गई सूची और कार्यकारिणी के मॉडल को लेकर सहमत नहीं है। ऐसे में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने ट्वीट के जरिए कटाक्ष करते हुए लिखा है कि ‘आपके बंदर, आपकी सर्कस’ मैं इस कहावत पर अमल करता हूं, मैंने न किसी को कोई सुझाव दिया है और न ही दूसरे के ‘शो’ में हस्तक्षेप किया है।
चन्नी ने खुद संभाली कमान
सिद्धू द्वारा सरकार की लगातार की जा रही आलोचना के बीच सोमवार को मुख्यमंत्री चन्नी ने 2022 के चुनावों की रणनीति तैयार करने के लिए पार्टी के ब्लॉक अध्यक्षों की बैठक बुलाई। जिसमें सिद्धू शामिल नहीं हुए। जबकि अध्यक्ष के रुप में सिद्धू को इस अहम बैठक में होने की उम्मीद थी। जाहिर है चन्नी भी अब आमना-सामना करने के मूड में आ गए हैं।
इसके पहले सिद्धू ने चन्नी सरकार को खुले तौर पर ड्रग्स के मुद्दे पर एसटीएफ की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने पर आमरण अनशन पर जाने की धमकी दी थी। इसके अलावा वह चन्नी द्वारा किए जा रहे वादों की यह कहते हुए आलोचना करते रहते हैं कि जहां खजाना खाली है, वहीं मुख्यमंत्री रियायतें दे रहे हैं।
हाल ही में सिद्धू की एक रैली का भाषण, पंजाब सरकार के सोशल मीडिया हैंडल पर सीधा प्रसारण नहीं किया गया। इसके अलावा, एक रैली में मुख्यमंत्री चन्नी, सिद्धू के भाषण शुरू करने से पहले ही निकल गए।
कैप्टन उठाएंगे फायदा
जिस तरह से सिद्धू और चन्नी के बीच दूरी बढ़ रही है, उसे देखते हुए , इस खींचतान का सबसे ज्यादा फायदा कैप्टन अमरिंदर सिंह के उठाने की उम्मीद है। इसी डर से आलाकमान ने कांग्रेस के कई नेताओं को दिल्ली तलब किया है। क्योंकि कैप्टन कई बार यह कह चुके हैं कि कांग्रेस के कई लोग उनके साथ आने को तैयार हैं। ऐसे में अगर कैप्टन भाजपा के साथ गठबंधन कर कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं को अपने पाले में खींच लेते हैं, तो कांग्रेस के लिए चुनाव के ठीक पहले बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है।