प्रतापगढ़ : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए पार्टियां लगातार अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर रही हैं, जिनमें कई ऐसे नाम हैं, जिन पर कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इन्हीं में प्रतापगढ़ जिले के अंतर्गत आने वाली कुंडा विधानसभा सीट भी है, जहां से समाजवादी पार्टी (सपा) ने राजा भैया के करीबी समझे जाने वाले गुलशन यादव को मैदान में उतारा है। गुलशन यादव पर मार्च 2013 में क्षेत्राधिकारी (CO) जिया-उल-हक की हत्या का आरोप है और यह मामला अब भी चल रहा है, जिसके कारण सपा पर कई सवाल उठ रहे हैं।
यह मामला 9 साल पुराना है, लेकिन अब भी सपा के गले की फांस बना हुआ है। सीओ जिया-उल-हक की जब हत्या हुई थी, यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी।
कुंडा सीट से 1993 से लगातार निर्दलीय विधायक के तौर पर निर्वाचित राजाभैया का नाम भी इस मर्डस केस में आया था। मार्च 2013 में सीओ जिया-उल-हक की हत्या के मामले ने तब खूब तूल पकड़ा था और तत्कालीन अखिलेश सरकार ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई ने हालांकि राजा भैया और गुलशन यादव को क्लीन चिट देते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी, लेकिन सीओ जिया-उल-हक की पत्नी ने कोर्ट में इसे चुनौती दी थी, जिसके बाद अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी थी।
क्या है मामला?
कुंडा सीओ के तौर पर जिया-उल-हक की तैनाती साल 2012 में हुई थी। उनके मर्डर के बाद परिजनों ने मीडिया से बातचीज में कहा था कि तैनाती के बाद से ही उन पर राजा भैया की ओर से कई मामलों को लेकर दबाव बनाए जा रहे थे। इसी बीच 2 मार्च, 2013 को मोटरसाइल सवार दो बदमाशों ने बलीपुर गांव के प्रधान नन्हे सिंह यादव की हत्या कर दी थी। देखते ही देखते उनके समर्थकों की हिंसक व उग्र भीड़ एकत्र हो गई, जिसने कई जगह आगजनी और तोड़फोड भी की, जिससे कानून-व्यवस्था की समस्या भी पैदा हुई।
पुलिस प्रशासन की टीम नन्हें यादव के घर की तरफ बढ़ी, जहां से भीड़ को उकसाया जा रहा था। भीड़ इस कदर उग्र थी कि पुलिसकर्मी भी आगे बढ़ने का हौसला नहीं जुटा पा रहे थे। इसी बीच सीओ जिया-उल-हक अकेले ही पीछे के रास्ते नन्हें यादव के घर की तरफ बढ़े, जहां ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया। इस बीच पुलिस और अराजक तत्वों के बीच गोलीबारी भी हो रही थी, जिसमें से एक गोली नन्हें सिंह यादव के छोटे भाई सुरेश यादव को लगी और उसकी मौत हो गई। इसके बाद बदमाशों ने सीओ जिया-उल-हक की नृशंस हत्या कर दी।
कई घंटों के बाद भारी पुलिस दल मौके पर पहुंचा, जब सीओ जिया-उल-हक का शव बरामद किया गया। इस मामले में सीओ की पत्नी ने राजा भैया, गुलशन यादव सहित पांच लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई थी। यह मामला अब भी कोर्ट में है और ऐसे में गुलशन यादव को कुंडा से टिकट दिए जाने के फैसले ने कई सवाल खड़े किए हैं।