- उपेंद्र दत्त शुक्ला 2018 में हुए उप चुनाव में भाजपा के टिकट पर गोरखपुर की सीट से लोकसभा चुनाव लड़े थे।
- राम मंदिर आंदोलन के वक्त से गोरखपुर सदर सीट भाजपा की परंपरागत सीट रही है।
- अखिलेश यादव ने शुभावती शुक्ला को टिकट देकर ,योगी आदित्यनाथ से ब्राह्मण वोट नाराज है, यह दांव चलने की कोशिश की है।
नई दिल्ली: 2022 में उत्तर प्रदेश चुनाव की सबसे हॉट सीट गोरखपुर सदर पर चुनाव रोमांचक होता जा रहा है। पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुकाबले आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद और अब समाजवादी पार्टी उम्मीदवार शुभावती शुक्ला के उतरने से चुनाव रोचक हो गया है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सबसे मजबूत सीटों में से एक गोरखपुर सदर से अखिलेश यादव ने शुभावती शुक्ला को उतारकर दो समीकरण साधे हैं। अब देखना उनका यह दांव कितना कारगर होता है।
स्वर्गीय उपेंद्र दत्त शुक्ला की पत्नी हैं शुभावती शुक्ला
असल में शुभावती शुक्ला का कोई राजनीतिक करियर नहीं रहा है। लेकिन वह भाजपा के वरिष्ठ नेता रह चुके स्वर्गीय उपेंद्र दत्त शुक्ला की पत्नी हैं। उपेंद्र शुक्ला भाजपा के न केवल उपाध्यक्ष रह चुके थे बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी करीबी माने जाते थे। उनकी करीबी इसी से समझी जा सकती है कि जब योगी आदित्यनाथ ने, उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर की लोकसभा सीट छोड़ी, तो पार्टी ने उपेंद्र दत्त शुक्ला को टिकट दिया। उपेंद्र दत्त शुक्ला का मई 2020 में ब्रेन हैमरेज से निधन हो गया था। ऐसे में अखिलेश यादव ने दो साल के अंदर ही , परंपरागत रुप से भाजपाई रहे उपेंद्र दत्त शुक्ला के परिवार को सपा में शामिल कर, बड़ा संदेश देने की कोशिश की है।
ब्राह्मण नाराज का संदेश देने की कोशिश
परंपरागत रुप से ब्राह्मण वोट भाजपा के साथ रहता है। ऐसे में अखिलेश यादव ने शुभावती शुक्ला को उम्मीदवार उतारकर न केवल ब्राह्मण वोट सांधने की कोशिश की है, बल्कि यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में भाजपा ब्राह्मण से नाराज हैं। योगी आदित्यनाथ को सियासी झटका देने की इसी कड़ी में अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ की उम्मीदवारी के बाद, नए समीकरण तलाशने शुरू कर दिए थे। पहले उन्हें गोरखपुर सदर सीट से 4 बार के विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल को लुभाने की कोशिश की, लेकिन जब वह दांव नहीं चला तो उन्होंने ब्राह्मण दांव चल दिया।
भाजपा का मजबूत गढ़ है गोरखपुर सदर
90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के समय से भाजपा का उभार होने के बाद से ही गोरखपुर सदर सीट, उसका सबसे मजबूत गढ़ है। और गोरखनाथ मठ का हमेशा से उसकी जीत पर प्रभाव रहा है। 1989 से 2017 तक 7 बार भाजपा का इस सीट पर कब्जा रहा, जबकि एक बार हिंदू महासभा के टिकट पर मौजूदा भाजपा विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल चुनाव जीते थे। उस वक्त राधा मोहन दास अग्रवाल का समर्थन योगी आदित्यनाथ ने ही किया था।
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उप चुनाव हार गए थे उपेंद्र दत्त शुक्ला
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद 2018 में जब गोरखपुर लोकसभा सीट पर उप चुनाव हुए थे, तो भाजपा ने उपेंद्र दत्त शुक्ला को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन वह सपा उम्मीदवार प्रवीण निषाद से हार गए थे। उस वक्त बसपा ने भी सपा उम्मीदवार का समर्थन किया था। गोरखपुर सीट पर ब्राह्मण, कायस्थ, निषाद और पासवान मतदाताओं की अहम भूमिका रहती है और पिछला चुनावों के परिणामों से साफ है कि जिसे मठ चाहता है, उसकी जीत लगभग पक्की रहती है।
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