उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम में बीजेपी ने एक बार फिर बाजी मारी है तो कई दल-बदलुओं को जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जिनमें फाजिलनगर से स्वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं। यूपी की योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने चुनाव से ठीक पहले बीजेपी छोड़ सपा का दामन थामा था, लेकिन वह अपनी सीट भी नहीं बचा सके। फाजिलनगर से सपा प्रत्याशी के तौर पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
फाजिलनगर से बीजेपी के सुरेंद्र कुमार कुशवाहा ने जीत दर्ज की है। स्वामी प्रसाद मौर्य को यहां शुरु से ही कड़ी चुनौती मिल रही थी, जिसका परिणाम अंतत: उनकी हार के रूप में सामने आया है। उन्हें पहले कुशीनगर की पडरौना सीट से उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन बाद में उनकी सीट बदल दी गई। हार के बाद एक ट्वीट में उन्होंने कहा, 'समस्त विजयी प्रत्याशियों को बधाई। जनादेश का सम्मान करता हूँ। चुनाव हारा हूँ, हिम्मत नहीं। संघर्ष का अभियान जारी रहेगा।'
चुनाव से कुछ ही समय पहले उन्होंने बीजेपी छोड़ सपा का दामन थामा था। उनका यह कदम सियासी तौर पर खूब सुर्खियों में रहा था। सपा में शामिल होने से पहले उन्होंने यूपी की योगी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। उनके बाद बीजेपी के कई बड़े नेताओं के इस्तीफे आए, जो सपा से जुड़े। इसे बीजेपी के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा गया, लेकिन अब चुनाव परिणाम से अलग ही तस्वीर सामने आई है। स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में जाने के बाद बीजेपी ने उन पर सौदेबाजी करने का आरोप भी लगाया था और वह अपने बेटे के साथ-साथ 22 अन्य के लिए टिकट मांग रहे थे।
बीजेपी छोड़ने बाद स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ साल 2014 में देवी-देवताओं पर विवादित टिप्पणी के मामले में एमपीएलए कोर्ट की ओर से गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया था। वहीं रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया था कि बीजेपी का एक धड़ा स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी में वापस लाने के लिए उनसे बातचीत कर रहा है। ओबीसी का बड़ा चेहरा माने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बसपा छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे।