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पहले चरण की वोटिंग के संकेत, अब ये मुद्दे कराएंगे राजनीतिक दंगल

Updated Feb 10, 2022 | 19:59 IST

UP Assembly Election 2022: पहले चऱण की 58 सीटों पर मतदान हो चुका है। इस बीच लखीमपुर हिंसा मामले में आशीष मिश्रा को जमानत मिल गई है। ऐसे में यह मामला आने वाले चरणों में तूल पकड़ सकता है।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
पहले चरण में 58 सीटों पर वोटिंग
मुख्य बातें
  • पश्चिमी यूपी में जाट मतदाता अहम भूमिका निभाता है। किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा इसी इलाके पर असर है।
  • कानून व्यवस्था में सुधार को भाजपा बड़ा चुनावी मुद्दा बना रही है।
  • सपा-आरएलडी गठबंधन ने जाट-मुस्लिम एकता पर दांव लगाया है।

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के चुनावों को लेकर यह बात मशहूर है कि पश्चिम से चली हवा पूरब तक जाती है। यानी मतदाता जिसे पश्चिम में वोट देते हैं, उसे ही पूरे प्रदेश में भी समर्थन मिलता है। असल में आम तौर पर उत्तर प्रदेश में चुनावों की  शुरूआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश से होती है। और उसके बाद प्रदेश के दूसरे हिस्से में चुनाव होते हैं। इस बार भी यही परंपरा है। पहले चरण में 11 जिलों की 58 सीटों पर वोटिंग हुई है। अब देखना यह है कि क्या पश्चिमी यूपी के मुद्दे पूरे देश में असर डालेंगे। आइए जानते हैं कि कौन से वह मुद्दे हैं जो आगे की चुनावी हवा तय कर सकते हैं..

1.आशीष मिश्रा को मिली जमानत

लखीमपुर खीरी हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को पहले चरण के वोटिंग के दिन ही जमानत मिल गई है। इस संयोग के बाद, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत मिलना आगे की चुनाव में अहम मुद्दा बन सकता है। खास तौर से चौथे चरण का चुनाव आशीष मिश्रा के गृहनगर लखीमपुर खीरी में 23 फरवरी को होना है। 

विपक्ष जहां आशीष मिश्रा को जमानत मिलने की टाइमिंग पर सवाल उठाएगा। वहां लखीमपुर खीरी की 8 विधानसभा सीटों में ब्राह्मणों वोटों के लुभाने का मुद्दा बन सकता है। जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है। ऐसें अब यह मुद्दा अगले 3 चरणों में बेहद गरम रहने वाला है।

2. क्या कहती है पहले चरण की वोटिंग 

शाम 5 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार करीब 58 फीसदी वोटिंग हो चुकी है। और पिछले पैटर्न को देखा जाय तो 2017 में 64 फीसदी वोटिंग हुई थी। और ऐसा अनुमान है कि इस बार भी 2017 के जैसे ही वोटिंग हो सकती है। वोटिंग पैटर्न में ज्यादा बदलाव नहीं होने से साफ है कि एकतरफा वोटिंग नहीं हुई है। ऐसे में आने वाले चरण में भी कांटे की टक्कर होने वाली है।

3. किसान आंदलोन और गन्ना भुगतान 

पहले चरण में सबसे ज्यादा किसान आंदोलन का मुद्दा गरम था। और उसकी वजह से सपा-रालोद गठबंधन को नए समीकरण की इन चुनावों में उम्मीद है। और यह मुद्दा अगले चरण में बने रहने की पूरी संभावना है। संयुक्त किसान मोर्चा पहले से ही भाजपा के खिलाफ वोट देने की अपील कर रहा है। और उसने पूर्वांचल तक प्रेस कांफ्रेंस की बात की है। इसी तरह गन्ना भुगतान का मुद्दा भी अहम है। यूपी सरकार के आंकड़ों के अनुसार 2021-22 के सीजन में 10 फरवरी तक 11 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। इसके तहत कुल 70 फीसदी भुगतान हुआ है। हालांकि सरकार यह दावा कर रही है, कि उसने अब तक 1.59 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का रिकॉर्ड भुगतान किया है।

4.ध्रुवीकरण 

पहले चरण में भाजपा के तरफ से कैराना पलायन का मुद्धा भी खूब उछाला गया है। उसकी काट के लिए सपा-रालोद ने जाय-मुस्लिम एकता का दांव चला था। पहले चरण की वोटिंग से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान वोटरों से अपील करते हुए काफी अहम है। उन्होंने कहा है कि यूपी को कश्मीर, बंगाल और केरल नहीं बनने दें। साफ है कि अगले चरण के चुनावो में भी ये मुद्दे गरम रहेंगे। और ध्रुवीकरण की कोशिश जारी रहेगी।

5. कानून व्यवस्था

योगी सरकार अपने 5 साल की उपलब्धियों में सबसे ज्यादा दांव कानून व्यवस्था में सुधार को लगा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ माफियाओं पर बुलडोजर कार्रवाई और कानून के राज का मुद्दा उठाते रहते हैं। ऐसे में कानून व्यवस्था का मुद्धा समाजवादी पार्टी को घेरने के लिए अगले चरणों में उठता रहेगा।

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